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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

खामोशी

 नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉक में -

 मैं आज लेकर आई हूँ एक छोटा सा विषय 'खामोशी  ' उस पर मेरी छोटी सी कविता।

 मेरी छोटी सी कोशिश खामोशी को अपनी कविता के रूप में व्यक्त करने की।

 तो चलिए  चलते हैं- 

 कभी-कभी दिल की बात बताने के लिए शब्दों की जरूरत नहीं होती। खामोशी ही हमारे दिल की सारी बातों को बयां कर देती है ।

जरूरी नहीं हर बात हम जुबान   ही व्यक्त करें। हमें लगता है जीवन में हर बात हम लोग जुबान से  ही व्यक्त कर सकते हैं; पर जरूरी नहीं है हर समय और हर जगह जुबान  ही हमारे काम बनाए, या  हमारे दिल की बात को व्यक्त करें ।

कभी-कभी जो बात जुबान  हमारी व्यक्त नहीं कर सकती है और हम दूसरों को  अपनी बात नहीं समझा पाते हैं । तब  हमारी खामोशी  ही  हमारी  सब बातें  बता   देती है ।

इसलिए बोलने वालों से ज्यादा कभी-कभी खामोश रहने वाले लोग दूसरों का दर्द और दिल दोनों ही जीत लेते हैं ।

इसलिए खामोशी में एक अदृश्य शक्ति है जो ना बोलते  हुए भी सब कुछ बोल जाती है ।

मेरी एक छोटी सी कविता खामोशी के ऊपर।



कुछ लोग खामोशी को अभिमान समझ लेते हैं,




 कुछ लोग खामोशी को कमजोरी समझ लेते हैं।



 कहते हैं रिश्तों  में बोलना है जरूरी,


 जब बोलकर कभी ना सम्भलें  रिश्ता,



 कुछ लोग खामोशी से ही रिश्ता संभाल लेते हैं।


 जो बात हम बोलकर  बयां नहीं कर सकते है, 


 खामोशी चुप रहकर भी बयां बहुत कुछ कर देती है ।




बोलने वाले अक्सर भीड़ का हिस्सा ही बनकर रह जातेहैं ,


खामोश रहने वाले ही भीड़ में भी अपनी बात कह जाते हैं।


 समझने वाले हो अगर तो, खामोशी भी हमारी जुबान  का काम कर जाती  हैं ।


 बोलने वाले जो काम ना कर सकें कभी,

 खामोश रहने वाले ही, लोगों का दिल और दर्द दोनों ही जीत लेते हैं।

 अगर आप सभी को मेरी कविता पसंद आए तो प्लीज़ शेयर कीजिए और उसमें कमेंट कीजिए।



 धन्यवाद

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