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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

देश का अन्नदाता

नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉक में ।



 मैं आज लेकर  कर आई हूँ देश के हमारे अन्नदाता के बारे में कुछ जानकारी और अपनी छोटी सी कविता।

 भारत एक कृषि प्रधान देश है भारत की आबादी का लगभग 70% गांव में निवास करता है ।जिनका प्रमुख व्यवसाय खेती है और उनकी आय का प्रमुख साधन भी खेती है।

 पर आज जनसंख्या इतनी बढ़ गई है कि किसानों को अपनी खेती के लिए भी जमीन को लेकर संघर्ष करना पड़ रहा है ।  
उन लोगों को अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है।

   जब  उन सभी को   अपनी इतनी मेहनत के बाद भी  वह लाभ नहीं मिल पा रहा है जिनके वह हकदार हैं। 

भारतीय किसान इसी  समस्या को लेकर संघर्ष कर रहा है। और हर साल  कितने ही किसान   न जाने कर्ज में डूबने की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं।


 भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले कृषि की हालत और इस  व्यवसाय से जुड़े किसानों की हालत खराब होती जा रही है। 
किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिलता है ,तो वह  कितने मजबूर होकर व्यापारियों को उनके मन चाहे मूल्य में   अपनी फसल को बेचना   पड़ता है।

 देश में लगभग  70% किसान का काम कर रहे लोग   बहुत परेशान हो गए हैं।
 देश को  अन्न  देने वाला किसान आज अपने ही हक के लिए लड़ रहा है।
 पर आज सरकार केवल देश के कुछ पूंजी पतियों के बारे में ही सोच  कर मनमानी कर रही है ।

आज भारत के किसानों द्वारा किया जाने वाले संघर्ष  में पूरा देश उनके साथ है ।


हम सभी आशा करते हैं उन सभी किसान भाइयों को उनका हक मिले।



 आज देश के अन्नदाता के लिए मेरी छोटी सी कविता -



तपकर   कड़ी धूप में किसान, 


 मिट्टी से फसल उगाता है।





 फिर क्यों  पाने  सिर्फ अपना हक,




 किसान को ही संघर्ष करना पड़ता है ।





देकर अनाज पूरे देश को  अपना, 




 न सर्दी ना ही परवाह गरमी की ही करता है।





 फिर क्यों देश का हमारा किसान,



 मरने पर मजबूर हो जाता है।




 होकर भी देश का अन्नदाता  उसको ,




फिर क्यों मेहनत का अपने  मोल नहीं मिल पाता है।



 होकर भी भारत कृषि प्रधान देश हमारा ,





देश का किसान  हमारा,  कृषि जमीन के लिए तरसता है ।






सूखी  जमीन से भी जो किसान, 




 फसल को अंकुरित कर देता है ।






वही  भारत देश का किसान,





कर्ज के नीचे फिर क्यों दब जाता है।



 दिया था लाल बहादुर शास्त्री जी ने  जो  जय जवान जय किसान का नारा, 





 आज उसी देश का किसान पाने को हक अपना भटक रहा है मारा- मारा




 जय जवान जय किसान।





 धन्यवाद मेरा ब्लॉक करने के लिए

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