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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

उत्तराखंड का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर कटारमल

नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में।
 मैं आज लेकर आई हूं उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले का प्रसिद्ध मंदिर कटारमल मंदिर जो जाना जाता है अपनी खूबसूरती के लिए तो चलिए चलते हैं जानने के लिए।


उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है सूर्य देव को समर्पित मंदिर कटारमल मंदिर जो देखने में बेहद खूबसूरत औरबेहद प्रसिद्ध है।
 जो केवल उत्तराखंड में नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष में अपनी आस्था और खूबसूरती के लिए जाना जाता है ।
कटारमल मंदिर जो सूर्य देवता को समर्पित है इसीलिए इसे कटारमल सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है ।
यह मंदिर 800 वर्ष पुराना माना जाता है और अल्मोड़ा शहर से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम की ओर स्थित है ।
 
यह समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जो अल्मोड़ा कोसी मोटर मार्ग पर कोशी की ओर कटारमल गांव में कटारमल का मंदिर बनाया गया है।
कहा जाता है जब पहली सूर्य की किरण कटारमल सूर्य मंदिर पर पड़ती है तो यह वृद्धादित नामक एक सूर्य देवता की प्राचीन मूर्ति को उजागर करती है।


 कटारमल सूर्य मंदिर ना सिर्फ पूरे कुमाऊं मंडल की शान है बल्कि एक ऐसा अनूठा मंदिर है जो अपनी खूबसूरती के लिए ही नहीं बल्कि उड़ीसा के कोणार्क मंदिर के बाद एक मात्र प्राचीन सूर्य मंदिर भी है। इस कारण उसकी महत्वता और भी अधिक बढ़ जाती है।
यह मंदिर "बड़ादित्य"के नाम से भी जाना जाता है।यहां पर विभिन्न समूहों में बसे छोटे छोटे मंदिरों के 50 समूह है।

 मुख्य मंदिर का निर्माण अलग-अलग समय में हुआ है ऐसा माना जाता है ।वास्तुकला की विशेषताओं और खंभों पर लिखे शिलालेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में माना जाता है।


 देवदार और सनोबर के पेड़ों से घिरे हुए कटारमल मंदिर की खूबसूरती देखने लायक है ।
मंदिर के प्रांगण में बड़े-बड़े पेड़ मंदिर की  सुंदरता को और भी अधिक बढ़ा देते हैं ।
जहां पर दर्शन करने वालों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था भी है।

यहां सूर्य मंदिर सूर्य देव को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक माना जाता है यह शुरुआती मध्ययुगीन काल में कत्युरी राजा कतर्मल्ला  के द्वारा बनाया गया था।
कुमाऊं पर कत्यूरी वंश का शासन था ।पूर्व की ओर स्थित एक पहाड़ी क्षेत्र पर almora के विपरीत दिशा में कटार मल मंदिर है। कटारमल सूर्य मंदिर की भक्ति को बुरादिता या परवृद्धातिया  के रूप में भी जाना जाता है।।
कटारमल सूर्य मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला कलात्मक रूप से बने पत्थर और धातु कर्म और खूबसूरती से बनाए गए नक्काशी की खंबे और लकड़ियों के दरवाजे के लिए प्रसिद्ध है ।

वर्तमान मंडप और बाड़े के भीतर भी धार्मिक स्थलों का निर्माण बहुत बाद मैं किया गया है।
मंदिर में सूर्य की प्रतिमा 12वीं शताब्दी की है। मंदिर में शिव पार्वती और लक्ष्मी नारायण की मूर्ति भी आप लोगों को देखने के लिए मिलेगी।
 हालांकि इष्ट देव के 10 वीं शताब्दी की मूर्ति चोरी हो जाने के बाद नक्काशी दार दरवाजों और पेनलो को दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में रख दिया गया है।
 इस मंदिर में सूर्य देवता पद्मासन मुद्रा में बैठे हैं। यह कहा जाता है कि उनके सम्मुख श्रद्धा, प्रेम, भक्ति पूर्वक मांगी गई हर इच्छा पूर्ति होती है ।इसीलिए श्रद्धालुओं का आवागमन आप लोग देखेंगे पूरे साल भर लगा रहता है ।
भक्तों का मानना है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से ही हृदय में छाया ,अंधकार ,अति शीघ्र ही दूर होने लगते हैं और उनके दुखों का निवारण होने लगता है।
स्थानीय जनश्रुति के अनुसार कत्युरी राजा कटारमल देव ने इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में करवाया था ।
यहां सूर्य की भूत धारी तीन प्रतिमाओं के अतिरिक्त विष्णु शिव और गणेश आदि देवी-देवताओं की अनेक मूर्तियां भी आप लोगों को देखेंगे ऐसा कहा जाता है कि देवी देवता यहां भगवान सूर्य की आराधना करते हैं।


उत्तराखंड का कटारमल मंदिर मेरी सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है ।क्योंकि अगर आप लोगों को इस मंदिर में जाने का अवसर मिले तो आप लोगों को भी यह अनुभव होगा कि मंदिर प्रांगण में पहुंचते ही मन को एक अजीब सी शांति का अनुभव होता है।
 प्राकृतिक दृष्टि कि अगर मैं बात करूं तो चारों तरफ पर्वतों से घिरे हुए और ऊंचे ऊंचे पेड़ों के बीच में स्थित यह मंदिर बेहद खूबसूरत और मन को शांति प्रदान करने वाला है।
बात करें अगर हम यहां पर रास्ते की तो यहां पर मंदिर में जाने के लिए रास्ता काफी अच्छा है ।आप लोगों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी

कटारमल सूर्य मंदिर पूरे उत्तराखंड की शान का प्रतीक माना जाता है।जो लोग ईश्वर के प्रति असीम विश्वास रखते हैं तो उन लोगों को इस मंदिर को देखने के लिए जरूर जाना चाहिए ।

बहुत बहुत धन्यवाद मेरा ब्लाॅग पढ़ने के लिए 

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