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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और ...

बेबस पत्ते

  एक बार फिर से मेरे ब्लॉक पर आप सब का स्वागत  है ।



पेड़ों पर जब  पत्तियां हरी होती हैं तो   वह  कितनी खुश होती हैं। टहनी पर जब शाखों  पर लगी होती हैं । 
चाहे जानवर हो या राह  चलते मुसाफिर सब को छाया देते हैं ।न जाने कितने पक्षी उस टहनी पर लगे पत्तों के बीच अपना घरौंदा  बनाते हैं।

 जैसे ही शरद ऋतु का प्रारंभ होता है वैसे ही पत्तियां पीली होने  लगती हैं और सारी पत्तियाँ  पेड़ों से झड़ना शुरू हो जाती हैं। यह वही पत्तियां होती हैं जो  सड़कों  पर बेजान  पड़ी होती हैं। 
एक दिन  वह भी था जब वह टहनी पर लग कर हमें छाया देते थे और  जानवरों को गर्मियों से बचाते थे और  पक्षियों का आश्रय  देत थे ।


इस   विषय को लेकर  एक छोटी सी कोशिश है पत्तियों  के दुख को कविता के रूप में प्रकट करने की । 
अगर आपको मेरी कविता पसंद आए तो प्लीज मुझे कमेंट कीजिए--



 पेड़ों से गिरे सूखे पत्तें बहुत कुछ बयां करते हैं,

 पेड़ों से अस्तित्व खो कर अपना रास्ते पर बिखर जाते हैं ।

रास्ते पर आते जाते मुसाफिरों को दास्तां अपनी सुनाते हैं ,
पेड़ों से गिरे सूखे पत्ते बहुत कुछ बयां करते हैं।

 मतलब कि इस दुनिया में सब कितने स्वार्थी होते हैं। 
 पत्ते जब थे टहनी पर तो   वह खुश कितना रहते थे।

 धूप में अपनी धनी छाव से मुसाफिरों को हमेशा बचाते थे।

 पक्षी के घरौदें हो या बच्चों को टहनी पर अपने कैसै  वह झूलाते थे।
 घनी छांव के पत्तों के बीच जीव- जंतु जब सुस्ताते  थे।



   समाप्त  कर  जीवन चक्र वह  अपना  पेड़ों से नीचे गिर जाते हैं।
 होकर असहाय जीवन अपना धरती को दे देते हैं।


  कभी  बनकर खाद तो, कभी जल कर गर्मी     मुसाफिरों को  देते हैं ।

अस्तित्व खो कर भी वह अपना लोगों के कितने काम आते हैं ।

पेड़ों से गिरे सूखे पत्ते कितना कुछ बयां  करते हैं ।
मेरे ब्लाॅग को पढ़ने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद - 



Comments

Unknown said…
Very expressive about melancoly in leaves lives..beautifulpoetry mrs.arya
Unknown said…
Very expressive about melancoly in leaves lives..beautifulpoetry mrs.arya
Unknown said…
Very expressive about melancoly in leaves lives..beautifulpoetry mrs.arya