आप सभी का फिर से एक बार स्वागत है मेरे ब्लॉक में।
आज का मेरा ब्लॉग समर्पित है उन सभी शिक्षकों को जिन्होंने हम सभी को एक राह दिखा कर जीवन में अपने सफल किया है।
आज का दिन उन सभी शिक्षकों के लिए जिन्होंने हम सभी को इस योग्य बनाया है कि हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त करें।। हम सभी के जीवन में शिक्षकों का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसीलिए आज का दिन सभी शिक्षकों के लिए मनाया जाता है। पर शिक्षक दिवस मनाया क्यों जाता है ,आइए जानते हैं इस बारे में हम---
शिक्षक दिवस यानी टीचर्स डे एक ऐसा दिन जिसे सभी अध्यापकों के सम्मान में मनाया जाता है। जहां सभी विद्यार्थी अपने शिक्षकों को शिक्षक दिवस की बधाइयां देते हैं ।अध्यापक जो सभी विद्यार्थियों के एक सच्चे मार्गदर्शक होते हैं ,एक सफल व्यक्ति के पीछे ही एक अध्यापक का महत्वपूर्ण योगदान होता है ।
शिक्षक दिवस मनाया जाता है 5 सितंबर को। जो हमारे देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। वह एक संस्कृत के महान विद्वान और एक बहुत बड़े दार्शनिक भी थे ।डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म तमिलनाडु में 5 सितंबर सन् 1888 में हुआ था। इनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब थी लेकिन उन्होंने फिर भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और अपनी पढ़ाई पूरी करी। सन 1916 में दर्शनशास्त्र में उन्होंने m.a. किया और 1954 में शिक्षा और राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए उन्हें सम्मानित किया गया ।।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन संस्कृत की महान विद्वान थे और उसी विषय में इन्होंने अध्यापन कार्य भी अपना शुरू किया था । डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने अपने 40 साल शिक्षा जगत में व्यतीत किए। आगे चलकर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारत के दूसरे राष्ट्रपति और उससे पहले उपराष्ट्रपति के पद में आसीन हुए ।अपने राष्ट्रपति काल के दौरान ही इनके कुछ विद्यार्थी और कुछ मित्रगण एक दिन उनके पास पहुंचे और उनके जन्मदिन को मनाने के लिए उनसे उन्होंने आग्रह किया पर उन्होंने उत्तर दिया । "कहा मेरा जन्मदिन अलग मनाने के बजाय इसे संपूर्ण शिक्षा जगत में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सभी शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाय ।"तभी से यह दिन ,शिक्षक दिवस के रुप में हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है।
आज की मेरी कविता उन सभी शिक्षकों के लिए जिन्होंने इस समय में भी शिक्षा कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।
गुरु बिन ज्ञान नहीं होता,
गुरु के ज्ञान का कभी अंत नहीं होता ।
गुरु का ज्ञान उस दीपक समान होता ,
प्रकाश में जिसके शिष्य ज्ञान है पाता।
गुरु ही क्या सही क्या गलत का परिचय कराता।
जो शिष्य को जीवन जीने के लायक बनाता।
गुरु वह कुम्हार होता ,
जो शिष्य के जीवन को सही आकार देता ।
गुरु वह माली होता,
जो ज्ञान से सींचकर अपने शिष्य को एक लायक इंसान बनाता ।
गुरु का ज्ञान पेड़ की घनी छांव होता,
छाया में जिसके शिष्य अपना उज्जवल भविष्य बनाता
।
गुरु का ज्ञान वह स्याही होता ,
जो अज्ञानी जीवन में शिष्य के ज्ञान फैलाता ।
गुरु का स्थान जीवन में हमारे बहुत ऊँचा होता,
एक सफल शिष्य के पीछे ही एक गुरु का योगदान
रहता ।
मेरा आज का यह ब्लॉग सभी शिक्षकों को समर्पित है ।बहुत-बहुत धन्यवाद:
मेरा ब्लॉक पढ़ने के लिए-
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