Skip to main content

Featured post

जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और ...

2 अक्टूबर गांधी जयंती

 नमस्कार एक बार फिर स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग पर

 मैं आज लेकर आई हूँ कुछ  महत्वपूर्ण जानकारी और ज्ञानवर्धक बातें 2 अक्टूबर के बारे में।

 तो चलित  चलते हैं जाने के लिए 2 अक्टूबर के बारे में ।

2 अक्टूबर 18 69 को गुजरात के पोरबंदर में जन्म लिया था, देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ।जिन्होनें   भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण कार्य किया था ।इसी कारण उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा मिला।

 और भारत सरकार ने 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाने की घोषणा करी ।

पूरे देश में आज के दिन अवकाश होता है ।

इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। करम चन्द  इनके  पिताजी जो ब्रिटिश राज के समय में काठियावाड़  एक  छोटी-सी रियासत में दीवान पर थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था।

' महात्मा  'शब्द   गांधी जी को सबसे पहले सन 1915 मे  राज वैद्य जीव राम कालिदास ने दिया था।




 गांधी जी  को 5 बार नोबेल पीस प्राइज के लिए नामित किया गया।पर  उन्हें एक बार नहीं दिया गया भारत की 13 प्रमुख सड़कों और दुनिया के अन्य हिस्सों के लगभग 48 सड़कों के नाम इनके नाम  पर रखे गए है।। 

30जनवरी   सन 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने उन्हें हमेशा के लिए सुला दिया।

 गांधी  जी   Great Britain के खिलाफ  आंदोलन किया था  पर ;  गांधी जी की मृत्यु के 21 साल बाद उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी  Great Britain  ने जारी किया।

 गांधीजी का शुक्रवार के साथ एक अजीब सा इत्फाक  था,  उनका जन्म भी शुक्रवार को हुआ था, भारत को आजादी भी शुक्रवार को  मिली थी और उनकी हत्या भी शुक्रवार को ही की गई थी।

 गांधी जी ने अपनी आत्मकथा द स्टोरी ऑफ माय एक्सपेरिमेंट विथ ट्रुथ में लिखी ।
2 अक्टूबर को गांधी जी के जन्म दिवस के रुप में मनाते हैं।



 इसी दिन देश की  दूसरे  महान व्यक्ति ने जन्म लिया था जो मेरे सबसे प्रिय है ,जय जवान जय किसान का नारा लगाने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी का । जो हमारे देश के दूसरे  प्रधानमंत्री बने इनका जन्म 2अक्टूबर 1904 में हुआ था। आजादी  की लड़ाई में 9 साल तक जेल में रहे ।
आंदोलन के समय पहली बार वह जेल में तब  गए थे  जब उनकी आयु 17 साल की थी लेकिन उन्हें नाबालिक होने के कारण  बाद में छोड़ दिया गया था ।

 लगभग 9 साल तक जेल में रहे उन्होंने  ' जय  जवान जय किसान ' का नारा दिया ।

इनको ' शास्त्री ' उपनाम काशी विद्यापीठ ने दिया ।

 पहले इनका उपनाम  श्रीवास्तव था ।फिर उन्होंने अपना पूरा नाम लाल बहादुर शास्त्री रखा 
 राजनीति में भी  इनकी बहुत ज्यादा साफ सुथरी     छवि   मानी जाती है ।

इन्होंने ही ' मरो नहीं मारो ' का नारा दिया था। शास्त्री की मृत्यु 11 जनवरी सन 1960 में हुई थी। 



 कहा जाता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जो   समय थे अयूब खान जिनका नाम था, भारत और पाकिस्तान के युद्ध विराम के संबंध में समझौते पर हस्ताक्षर होने के कुछ घंटों बाद इनकी मृत्यु हो गई ।

लेकिन मृत्यु किस तरह से हुई वह  आज भी  एक रहस्य बना हुआ है। 


मेरी  आज की कविता 2 अक्टूबर के उपलक्ष में दो महान नेताओं को समर्पित है।



 2 अक्टूबर था दिन वह महान,


 जन्मे थे जहां दो सपूत महान।

 एक थे गांधी एक थे  लाल।

 भारत के थे वे पुत्र महान ।

 देश के लिए किए प्राण अपने कुर्बान 
,


अंधकार की गुलामी में जब डूबा भारत देश महान,
 चले दिलाने आजादी   भारत को,  ये  व्यक्ति थे ऐसे   महान।।

 एक ने दिया जय जवान जय किसान का नारा,
एक ने  लिया सत्य अहिंसा का सहारा।

 बापू ने सविनय और भारत छोड़ो  आंदोलन चलाया ,

शास्त्री जी ने भी ताशकंद समझौता कराया।

 दोनों का था एक ही सपना ,

भारत पर हो सिर्फ अधिकार हर हिंदुस्तानी का अपना।

 दोनों ने कितने कष्ट सहकर,

  देश पर  किए  अपने  प्राण न्योछावर।


 देश को ना अब  ऐसे बाबू लाल मिलेंगे,


 जो देश के लिए अपने  अब प्राण देंगे।

 2 अक्टूबर था दिन वह महान ,

जहां जन्मे थे दो सपूत महान,

 भारत के थे यह पुत्र महान,

  देश के लिए किए  अपने प्राण कुर्बान।


 धन्यवाद मेरा ब्लॉग पढ़ने के लिए

Comments