नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉक में।
मैं आज लेकर आई हूँ भारत के प्रसिद्ध शहर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बारे में कुछ रोचक जानकारी। तो चले चलते हैं अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की सैर करने।
भारत में ऐसी बहुत सी जगहें है जहाँ पर आप- हम कला और संस्कृति के बहुत सारे उदाहरण देखते हैं। ऐसी ही खूबसूरत जगह है अमृतसर का स्वर्ण मंदिर।
बेहद खूबसूरत और सभी धर्मों में आस्था रखने वालों के लिए एक खूबसूरत धार्मिक स्थल।
वैसे तो यह एक गुरुद्वारा है लेकिन आप लोगों को यहाँ पर हर धर्म के लोग मिलेंगे।
स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। जो सिक्ख धर्म का एक पवित्र स्थान है। जिसे देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग आते हैं।
स्वर्ण मंदिर में वैसे तो पूरे साल भीड़ रहती है लेकिन विशेष रूप से बैसाखी के महीने में जो अप्रैल के महीने में मनाया जाता है जिसे सिख धर्म के लोग अपनी फसल काटने की खुशी में मनाते हैं ।विशेष रूप से यहाँ हमें भीड़ देखने को मिलती है।
स्वर्ण मंदिर अमृतसर में स्थित है। जिसकी बनाने की शुरुआत 1577 में गुरु रामदास द्वारा की गई थी और उसे पूरा करने का काम गुरु अर्जुन देव द्वारा संपन्न हुआ ।
स्वर्ण मंदिर 400 साल पुराना जाता है। इसके निर्माण के लिए सिक्ख धर्म के चौथे गुरू रामदास साहिब ने कुछ जमीन दान दी थी जबकि सिक्ख धर्म के पहले गुरु नानक साहिब ने इसकी वास्तुकला को डिजाइन किया था ।
जिसके बाद 1577 में इस मंदिर का काम शुरू किया गया था। इसके बाद अर्जुन देव जी ने बाद में इस मंदिर में जो सरोवर है जिसे अमृत सरोवर कहा जाता है उसकी पक्का करने का कार्य भी शुरू किया।
इस मंदिर में स्नान करके करने की भी एक प्रथा है ।लेकिन यह स्नान सरोवर के किनारों में किया जाता है ।और खास लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर सरोवर में जो सिढ़िया है उस पर तो लोहे की जंजीर लगी है ताकि स्नान करने वाले सभी लोग उस जंजीर को पकड़कर स्नान करें और किसी तरह का कोई हादसा भी ना हो ।
इस मंदिर का निर्माण हुआ तब सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ आदि को भी स्थापित किया गया था।
इस पवित्र स्थान के अंदर एक अकाल तख्त भी स्थित है जिसे सिख धर्म के 6वें गुरु, गुरु गोविंद जी का घर भी माना जाता है।
यह मंदिर 1604 में बनकर तैयार हुआ था।
इस मंदिर में काफी बार आक्रमण भी हुए। और इसे काफी नुकसान भी पहुँचा था।
बाद में सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया जी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया। आहलूवालिया खालसा दल के कमांडर और मिसल के प्रमुख थे। ।
बात करें अगर इस मंदिर की वास्तुकला की तो बेहद खूबसूरत और अनोखी कलाकृति से बना हुआ है।
इस मंदिर की छत और दीवारों की शिल्पकारी देखने लायक है।
यह मंदिर 67 स्क्वायर फुट क्षेत्रफल में बनाया गया है ।और वह भी तालाब के बीचो बीच बना हुआ है।
यह मंदिर 3 मंजिला इमारत में स्थित है ।
इसकी पहली मंजिल पर गुरु ग्रन्थ साहिब का पाठ किया जाता है। इस मंदिर की सबसे रोचक बात यह मंदिर पहले लाल ईंटों से बना हुआ था लेकिन बाद में यह सफेद संगमरमर से बनाया गया।
फिर 19वीं शताब्दी में इस मंदिर के गुंबद पर सोने की परत चढ़ाई गई जो देखने में बेहद खूबसूरत लगती हैं ।
मंदिर की सीढ़ियां ऊपर से नीचे की तरफ आती है जो मनुष्य को हमेशा विनम्र होने का पाठ पढ़ाती है ।
इस मंदिर के बारे में सबसे खासियत बात इस मंदिर में कभी अंधेरा नहीं होता है। साल के 365 दिन और 24 घंटे यह मंदिर रोशनी में डूबा हुआ रहता है।
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है; इस मंदिर की नीव एक मुस्लिम सूफी पीर साईं मियां मियां द्वारा रखी गई थी ।
जबकि सिक्खों के गुरु राम दास जी ने 1577 में इसकी इसकी स्थापना की थी और सिक्खों के पांचवें गुरु अर्जुन ने इस मंदिर का डिजाइन और निर्माण कार्य की शुरुआत की थी ।
बात करें हरमंदिर साहिब के नाम का अर्थ- तो इसका अर्थ है भगवान का मंदिर ।
सभी धर्म और जाति के लोग यहाँ पर जाते हैं और सब लोग मिलकर एक साथ प्रार्थना करते हैं।
बात करें अगर हम देश के सबसे बड़े किचन की तो वह भी गोल्डन टेंपल में स्थित है जो 24 घंटे खुला रहता है।
ना जाने कितने ही निर्धन लोगों का पेट यहाँ पर पलता है ।
स्वर्ण मंदिर मंदिर की सबसे खूबसूरत चीज जब सभी धर्म और संप्रदाय के लोग नीचे बैठकर एक साथ खाना खाते हैं वह चीज सबसे ज्यादा मेरे दिल को छूने वाली मुझे लगी।
यहाँ आपको भारतीयों के अलावा विदेशी पर्यटक भी मिलेंगे ।
इस किचन में जो खाने की प्रथा है उसे हम लंगर कहते हैं ।यहां पर लगभग 100000 लोग रोजाना खाना खाते हैं ।
कहा जाता है इस लंगर में से कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं जाता जा सकता ।
हर धर्म के लोग बैठकर सब मिलकर एक साथ खाना खाते हैं।
लंगर प्रथा की शुरुआत गुरु नानक देव जी ने की थी ।24 घंटे खुला रहने वाला यह किचन सभी लोगों के लिए और सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला रहता है।
बात करें यहाँ पहुँचन की तो वायु रेल बस तीनों साधनों द्वारा आराम से अमृतसर के गोल्डन टेंपल को देखने के लिए जा सकते हैं।
एयरपोर्ट यहाँ पर अमृतसर में राजा सांसी एयरपोर्ट है। जो गोल्डन टेंपल से 15 किलोमीटर की दूरी पर है ।
अगर हम बात करें यहाँ पर ठहरने की व्यवस्था की तो एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल होने के कारण यहाँ पर ठहरने की कोई भी समस्या नहीं है। तो आपको सही मूल्य पर होटल और धर्मशाला भी मिल जाएंगे।
अमृतसर घूमने के लिए एक संपूर्ण और बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है।
धन्यवाद मेरा ब्लाॅग पढ़ने के लिए ।
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