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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और ...

धनी और निर्धन व्यक्ति में समानता

नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में ।



मैं आज लेकर आई हूँ अमीरी और गरीबी  जीवन के बारे में मेरा छोटा सा एक विचार उस पर आधारित मेरी छोटी सी कविता ।


हम देखते हैं अमीरी और गरीबी हमारे समाज की दो ऐसी व्यवस्था है इसे पूरे समाज को दो भागों में बांट देती है। 

दोनों के सोचने से लेकर जीवन जीने का तरीका बिलकुल अलग होता है। समाज में अनेक समस्याओं का जन्म भी इन्हीं दो वर्गों की वजह से होता है।

 निर्धन व्यक्ति की समस्या को धनी व्यक्ति कभी नहीं समझ पाता है और ना ही निर्धन व्यक्ति धनी व्यक्ति को समझ पाता है। इन दोनों वर्गों के बीच की खाई कभी भी नहीं भर पाती है और दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है  ।

लेकिन कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो अमीर व्यक्ति और  गरीब व्यक्ति की बिल्कुल समान होती है ।

कोशिश करी है मैंने उसको अपनी कविता के जरिए प्रकट करने की।






 फर्क नहीं पड़ता भूख को कभी,
 लगी हो वह धनी या फिर निर्धन को कभी। 

भूख तो सिर्फ भूख है ,जो मिले खाने से  सदा।
 चाहे हो  खीर  या फिर  सुखी रोटी  , उसे तो सिर्फ  मतलब मिटने से है।


 फर्क नहीं पड़ता प्यास को कभी,
 लगी वह निर्धन को या फिर धनी को कभी ।

 प्यास तो सिर्फ प्यास है ,जो बुझे सिर्फ पानी से सदा।  
हो चाहे वह बिसलरी  या बहते हुए नल का किसी। 

उसे तो सिर्फ मतलब मिटने से है ।

फर्क नहीं पड़ता माँ की ममता को कभी,
 हो वह धनी माँ  या निर्धन माँ की कभी।  

 ममता तो सिर्फ ममता होती है, जो मिटे माँ की आंचल में  सदा।



 फर्क नहीं पड़ता मृत्यु को कभी ,
जो  आए  किसी निर्धन या धनी व्यक्ति को कभी ।

मृत्यु तो सिर्फ मृत्यु होती है, जो चाहे सिर्फ  2 गज जमीनसदा ,उसे तो मतलब सिर्फ जलने  से है सदा।। 


धन्यवाद मेरा ब्लाॅग पढ़ने के लिए ।

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