नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉक में।
मैं आज लेकर आई हूँ हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी गंगा माँ के नाम से भी पुकारी जाने वाली नदी के बारे में मेरी छोटी सी कविता और उस पर मेरी एक महत्वपूर्ण जानकारी।
हम सभी को पता है हिंदू धर्म में गंगा नदी को माँ की संज्ञा दी गई है। जो भारत की सबसे पवित्र नदी है । यह भारत और बांग्लादेश में कुल
मिलाकर 2525 किलोमीटर की दूरी को तय हुई उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भूभाग को सींचकर लोगों का पालन पोषण भी करती बहती है।
देश के प्राकृतिक संपदा तो है ही साथ में अपनी आस्था से भी जुड़ी हुई है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक ,और आर्थिक दृष्टि से गंगा नदी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। गंगा नदी के ही मैदानी क्षेत्रों में काफी बड़ी मात्रा में जनसंख्या भी पाई जाती है। गंगा नदी 100 फीट की अधिकतम गहराई वाली यह नदी है भारत में एक पवित्र नदी मानी जाती है।
इसके अनेक कारण है भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौंदर्य और महत्व के कारण बार-बार आदर के साथ बुलाई जाती है। यहाँ तक कि विदेशी साहित्य में भी गंगा नदी का वर्णन एक पवित्र नदी के रूप में मिलता है। इस नदी में अनेक प्रकार के जीव भी मिलते हैं ।यहाँ पर मीठे पानी वाले जीव भी पाए जाते है। जिसमें अनेक प्रकार के जलीय जीव और डॉल्फिन भी पाई जाती है। पर्यटन क्षेत्र में भी गंगा नदी का योगदान बहुत अधिक है। आर्थिक दृष्टि से अगर हम बात करें तो इसका महत्व तो है ही साथ में धार्मिक दृष्टि से भी गंगा नदी बहुत पवित्र मानी जाती है।
बात करें अगर हम गंगा नदी के जल की तो वह सालों साल हम बोतल में अगर भरकर रखें तो भी गंगा जल खराब नहीं होता है।
तो इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है कहा जाता है गंगा नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नाम का एक विषाणु ( वायरस )होता है जो पानी को खराब करने वाले जीवाणुओं और अन्य सूश्मजीवों को पानी में पैदा नहीं होने देता है। जिस कारण हम सभी के घरों में यह जल एक पवित्र जल के रूप में बोतलों में सालों साल पड़ा रहता है। जो सभी प्रकार के धार्मिक कार्यों में एक पवित्र जल के रूप में हम उपयोग करते हैं।
बात करें अगर हम गंगा नदी के प्रमुख शाखा भागीरथी है ।जो गढ़वाल में हिमालय के गौमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से बहती है। इसके उद्गम की ऊँचाई 3140 मीटर है। यहीं पर माँ गंगा को समर्पित एक मंदिर भी है। गौमुख के रास्ते में 36000 मीटर ऊँची चिरबासा ग्राम से विशाल गोमुख हिमनद के दर्शन भी होते हैं। इस हिमनद में नंदा देवी, कामत पर्वत, एवं त्रिशूल पर्वत का हिम पिघलकर आता है।
गंगा नदी हरिद्वार से लगभग 800 किलोमीटर मैदानी भागों की यात्रा करते हुए बिजनौर ,गढ़मुक्तेश्वर, सोरा ,फर्रुखाबाद ,कन्नौज, बिठूर, कानपुर, होते हुए गंगा प्रयाग पहुँचती है। यहाँ गंगा नदी का एक संगम या मिलान यमुना नदी में होता है।
इतनी पवित्र नदी होने के बाद भी आज हम देखते हैं कि गंगा नदी का जल दिन प्रतिदिन प्रदूषित होता जा रहा है ।इसका प्रमुख कारण हम सभी मनुष्य ही है। तो हम सब मनुष्य का यही कर्तव्य बनता है कि गंगा नदी के जल को पवित्र बनाने रखने लिए हर प्रयास करें और उसे प्रदूषित होने से बचाएं ।
माँ गंगा को समर्पित आज मेरी छोटी सी कविता है।
माँ गंगा के नाम से तू पुकारी जाती ,
स्पर्श भोलेनाथ की जटा का पाकर ,तू और पवित्र बन जाती ।
पाकर स्पर्श तेरे पवित्र जल का ,
तू न जाने कितने लोगों को पवित्र कर देती।
शक्ति कुछ अद्भुत तेरे जल में,
जो जल को तेरे अमृत बनाती है।
हिमालय के गौमुख से निकलकर ,
सींचकर न जाने कितने खेतों को तू लोगों का पालन करती।
ह्रदय तेरा इतना विशाल है,
हो पापी या कोई पुण्यात्मा सभी को जल से अपने तू पवित्र करती ।
हो चाहे भारती पुराण या हो साहित्य विदेशी,
सभी जगह तू पवित्रता से अपनी एक अलग पहचान बनाती।
पवित्र होकर भी जल इतना तेरा ,
लोग क्यों कर रहे हैं तुझे इतना मैला ।
चलो संकल्प हम आज यह लेते हैं,
पवित्रता जो थी तेरी पहले, वैसा पवित्र माँ गंगे तुझे फिर हम बनाते हैं।
धन्यवाद मेरा ब्लॉक पढ़ने के लिए।
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