नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉक में।
मैं आज लेकर आई हूँ बहुत ही दिलचस्प जानकारी जो है कुंभ मेले के बारे में।
कि क्यों वह 12 साल के अंतराल में ही मनाया जाता है और क्या वजह है जो केवल चार जगह में ही यह भव्य मेला लगता है ।तो जानने के लिए चलते हैं क्या कारण है।
कुंभ मेला एक ऐसा मेला है जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और जो हर 12 वर्ष के अंतराल में ही मनाया जाता है ।जहाँ पर यह कुंभ मेला लगता है उन जगहों में-
1- हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर
2- उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर।
3- नासिक में गोदावरी नदी के तट पर
4-और इलाहाबाद में त्रिवेणी संगम जहाँ पर गंगा यमुना और सरस्वती का पवित्र संगम होता है।
कुंभ मेला देखने के लिए पूरे विश्व से लोग आते हैं और यहाँ पर हर प्रकार की सुविधा लोगों को प्रदान की जाती है
यहां तक की सुरक्षा का भी काफी ध्यान रखा जाता है जिससेे किसी प्रकार की परेशानी लोगों को ना को।
कुंभ मेला 12 वर्ष के अंतराल में क्यों मनाया जाता है इसके पीछे बहुत सारे कारण है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार और हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तभी कुंभ मेले का आयोजन होता है।
मुख्य रूप से प्रयाग के कुंभ मेले की सबसे ज्यादा मान्यता है।
उससे पहले हम जानते हैं - कुंभ का सामान्य अर्थ होता है -कलश।
ज्योतिष शास्त्र में अगर हम देखे तो कुंभ राशि का चिन्ह भी कलश ही होता है ।
कुम्भ मेला 12 साल में क्यों मनाया जाता है इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा बहुत प्रचलित है।
देवताओं और राक्षसों ने समुद्र मंथन और उसमें प्रकट हुए रत्नों को आपस में बाँटने का निर्णय लिया।
समुद्र मंथन में सबसे बहुमूल्य रत्न था अमृत ।
उसे प्राप्त करने के लिए देवता और राक्षसों के बीच में संघर्ष भी हुआ।
असुरों से अमृत को बचाने के लिए विष्णु ने अमृत का
पात्र अपने वाहन गरुड़ को दे दिया ।जब असुरों ने गरुड़ से वह अमृत को छीनने का प्रयत्न किया तो कहते हैं इस छीना झपटी में कलश में से अमृत की कुछ बूंदें इलाहाबाद , अमृत की कुछ बूंदें उज्जैन में, कुछ बूंदे हरिद्वार में और कुछ बूँदें नासिक में जाकर गिरी।
तभी से यह मान्यता है कि इस कारण कुंभ मेला इन 4 जगहों में ही मनाया जाता है।
अमृत के लिए देवता और असुरों के बीच युद्ध 12 दिन तक हुआ था। उल्लेखनीय है कि देवताओं का एक दिन पृथ्वी वासियों के 1 साल के बराबर होता था।
इस प्रकार देव राक्षसों का युद्ध पृथ्वी वासियों की गणना के आधार पर 12 वर्षों तक चला।
इस कारण जहाँ जहाँ कलश से अमृत छलका वहाँ वहाँ 12 साल के अंतराल में यह मेला मनाया जाता है।
यही कारण रहा कि हर 12 साल के अंतराल में यह मेला लगता है ।

पर यह सब पुरानी कथाएं हैं आज तक कोई नहीं जान पाया है कि कुंभ मेला 12 वर्ष के अंतराल अंतराल में ही क्यों मनाया जाता है।
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