नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में ।
आज लेकर आई हूँ अपना छोटा सा अनुभव जो मैंने करोना के समय हॉस्पिटल में अपने हस्बैंड के साथ अनुभव किया।
आप सभी के साथ में वह अनुभव शेयर करना चाहती हूँ ।
27 अप्रैल 2021 मेरे जीवन का एक ऐसा लम्हा है जो शायद मैं अपनी पूरी जिंदगी कभी भूल ना पाऊं।
चलिए चलते हैं जाने के लिए वह लम्हा क्या था। 2021 साल के शुरुआत में हम सभी को यह लगा कि यह साल हम सभी के लिए अच्छा रहेगा पर ऐसा नहीं हुआ । पर ऐसा नहीं हुआ 2021 और भी ज्यादा सभी के लिए कहर बनकर आया न जाने कितने लोगों ने अपनों को खो दिया
।हर दिन बढ़ते केस से शायद हम सब लोग समझ नहीं पा रहे थे कि यह किस तरह कहर बन कर हम सब मनुष्य के जीवन में आएगा ।
हर दिन टीवी पर आती खबरों से मैंने सोचा ही नहीं था कि यह दिन हमारी जिंदगी में भी आएगा। धीरे धीरे जब करोना का ग्राफ इस कदर बढ़ा कि कुछ संभल गए और कुछ समझ नहीं पाए ।
टीवी में आती ऑक्सीजन की कमी की खबरों को देखकर मैंने कभी भी नहीं सोचा कि ऐसी परेशानी हमारे ऊपर भी आएगी। लेकिन कहते हैं जब तक हमारे ऊपर मुसीबत नहीं आती तब तक हम दूसरों की परेशानी को महसूस भी नहीं कर पाते।
एक ऐसा ही वक्त आया 27 अप्रैल का मेरे पति और मेरा बेटे दोनों को करोना हुआ ।पर बेटा 4 दिन के बाद ठीक हो गया। हमें यही लगा शायद मेरे husband भी ठीक हो जाएंगे। पर छठे दिन के बाद के उनकी हालत और ज्यादा खराब हो गई।
27 April की शाम 6:00 बजे उनकी तबीयत अचानक बहुत ज्यादा खराब हो गयी थी। डॉ के कहने पर उनका सिटी स्कैन कराया गया इनमें infection levele बहुतज्यादा निकला।
मुझे इस बात का पता चला कि उनका आक्सीजन भी कम हो गया है। यह सुनकर मेरे होश ही उड़ गए। उनकी तबीयत इतनी ज्यादा खराब खराब हो गई कि हॉस्पिटल में इन्हें इमरजेंसी में करोना ट्रीटमेंट की पहली हाइडोज दी गई है।
फिर मुझे लगा अब सब ठीक हो जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ। जब मेरे husband हॉस्पिटल से घर आए तो उनका आक्सीजन काफी कम हो गया था ।
मेरे husband के friend ने ऑक्सीजन सिलेंडर का घर पर ही इंतजाम कराया।
ऑक्सीजन लेवल कम होने पर छोटा Cylinder भी कितनी देर चलता। मेरे brother in law ने Hospital चलने की बात कि ।
Hospital में bed ke liye हम 12:00 बजे Hospital रात को गए। मैंने अपने दोनों बच्चों घर पर अकेले ही छोड़ दिया।
उस समय दिल्ली में करोना के केस इतने बढ़ गए थे हॉस्पिटल में बेड मिलना मुश्किल हो गया। था।
सिलेन्डर छोटा होने की वजह से वह रास्ते में ही खत्म हो गया।
हम सब घबरा गए ।मेरा ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास था । पर आस पास की घटना सुनकर मेरा मन बहुत घबरा रहा था ।
पर मैंने अपने को काफी हद सम्भाला । जैसे ही हम Hospital के बाहर से लौट रहे थे तो एक ऐसा चमत्कार हुआ। हमारे गाड़ी के आगे एक गाड़ी रुकी और उसमें से एक सरदार जी निकले और बोले आप हमारे पास सिलेन्डर है ।
उसे ले लो मुझे समझ नहीं आया ना कोई जान ना कोई पहचान उन्होंने अपना सिलेन्डर हमें दे दिया। हमें जरूरत थी। उन्होंने अपना नंबर दिया और बोला खत्म होने पर हमें खाली सिलेन्डर लौटा देना ।
आज भी वह sardarji कौन थे हमें नहीं पता लेकिन मैं दिल से उनका शुक्रिया करना चाहती हूँ ।
जिनकी वजह से मेरे husband को सांसे मिली।
पर कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि जो सिलेन्डर sardarji ने हमें दिया था वह सरदार जी के घर का कोई सदस्य था जो Hospital जाते हुए हैं कि उनकी डेथ हो गई थी।
तो वह सिलेंडर उन्होंने हमें दे दिया। दुर्भाग्यवश उस व्यक्ति के लिए मुझे बहुत बुरा लगा ।लेकिन शायद यही ईश्वर की मर्जी थी ।
आज भी मैं उनका दिल से शुक्रिया करना चाहती हूँ । उसी Cylinder के वजह से मेरे husband को एक नया जीवन मिला।
Hospital की तलाश करने के बाद भी हमें कोई हॉस्पिटल नहीं मिला। हम सब लोग उन्हें लेकर मेरे brother in law के फ्रेंड के हॉस्पिटल में इमरजेंसी में गए ।
मेरे brother in law की कड़ी मेहनत के बाद दूसरे दिन हमें हॉस्पिटल मिला। लेकिन जो भी हॉस्पिटल हमें मिला वह हॉस्पिटल का स्टाफ बहुत खराब था और उन्होंने बेहद हमें परेशान किया ।
पर कहते हैं जो भी होता है अच्छे के लिए होता है । मेरे मेरे हस्बैंड को बेड उसी हॉस्पिटल में मिला जिस से हॉस्पिटल में मेरे ब्रदर इन लॉ की फ्रेंड डॉ थे। मैं अपने brother in law की फ्रेंड जो डॉक्टर से थे उनका दिल से शुक्रिया करना चाहती हूं जिन्होंने हॉस्पिटल में मेरे हस्बैंड को बहुत मैंटली सपोर्ट किया और उन्हीं की वजह से हमें हॉस्पिटल में भी बहुत सपोर्ट भी मिला ।
जब यह बात हमें पता चली तो हमें बेहद सुकून मिला। अब लग रहा था कि सब कुछ ठीक हो जाएगा ।ईश्वर ने हर जगह पर हमारी बहुत मदद की पर कुछ दिनों के बाद ही हॉस्पिटल में भी ऑक्सीजन की कमी होने लगी। क्योंकि उस समय दिल्ली में इतने ज्यादा केस बढ़ गए थे कि ऑक्सीजन सप्लाई पर इसका बहुत ज्यादा असर पड़ा ।फिर यह सारी परेशानी देखकर लगा यह तो और बड़ी मुसीबत हो गई है क्योंकि मेरे हस्बैंड को उस समय बहुत ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी ।
हॉस्पिटल में भी आक्सीजन की सप्लाई बहुत कम हो रही थी। पर मेरे ब्रदर इन लॉ ने Cylinder के लिए काफी काफी मेहनत करी न जाने कहां-कहां से उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करी। मुझे पता तक नहीं चला और भी जितनी दवाइयां थी सारा इंतजाम मेरे ब्रदर इन लॉ हीं किया।
हर दिन आसपास घटनाओं को देखकर मेरा दिल बहुत ज्यादा घबरा रहा था ।पर मन ही मन मैं अपने को समझा रही थी। सब कुछ ठीक हो जाएगा हर दिन हॉस्पिटल में कोरोना से कोई ना कोई लोग लोगों की मृत्यु हो रही थी।
उन्हें देखकर दिल इतना ज्यादा डर जाता था मैं इस बात को बता नहीं सकती थी ।
मेरे बच्चे घर पर अकेले थे एक तरफ इनकी भी टेंशन हो रही थी। पर सब कुछ छोड़ कर मैंने अपने हस्बैंड के साथ ही हॉस्पिटल में समय गुजारा ।धीरे धीरे चीजें सही होने लगी ।
हर दिन इतना भारी लग रहा था मानो साल हो ।धीरे धीरे मेरे हस्बैंड को ऑक्सीजन की जो ज ज्यादा जरूरत थी कम होने लगी ।धीरे धीरे मेरे हस्बैंड के स्वास्थ्य में भी फर्क पड़ने लगा।
ऐसे ही 22 दिन पूरे हॉस्पिटल में मेरे हस्बैंड के गुजरे। जब डॉक्टर ने एक दिन कहा कि इन्हें 17 मई को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा तो मुझे ऐसा लगा मानो न जाने कितनी बड़ी खुशी मुझे मिल गई।
वह दिन भी आया जब 17 मई मेरे हस्बैंड डिस्चार्ज होकर घर आए।
धीरे-धीरे सारी चीजें ठीक हो गयी।
आज हम सभी फिर से एक साथ हैं।
मैं उन सभी लोगों का बहुत बहुत दिल से शुक्रिया करना चाहती हूँ जिन्होंने इस मुश्किल घड़ी में मेरा साथ दिया।
जिनकी वजह से आज मैं अपने पति के साथ हूँ।
तो इसमें सबसे बड़ा जिन्होंने मेरा साथ दिया है वह मेरे ब्रदर इन लॉ थे।
शायद उन्हीं की वजह से आज एक हम फिर साथ है ।
साथ ही मैं अपने सभी परिवार के सदस्यों का भी शुक्रिया करना चाहती हूं जिन्होंने हमारा इस मुश्किल घड़ी में साथ दिया।
मैं उन सभी मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर का भी शुक्रिया करना चाहती हूँ जिन्होंने मेरे हस्बैंड को ठीक करने में हमारा बहुत साथ दिया।
सबसे बड़ा शुक्रिया मैं उस ईश्वर का करना चाहती हूँ जिन्होंने इस मुश्किल घड़ी में मुझे और मेरे बच्चों को हिम्मत दी इस परेशानी को झेलने की।।
आज इस बात को एक साल हो गया लेकिन वह बुरा समय मै आज भी नही भूल पाती हूँ।
धन्यवाद मेरा ब्लाॅग पढ़ने के लिए
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