नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में।
मैं आज लेकर आई हूं भविष्य निर्माता जिनके बारे में कहने के लिए शब्द नहीं है मेरे पास फिर भी एक छोटी सी कोशिश उनके सम्मान में एक छोटी सी कविता और मेरा छोटा सा लेख।
तो चलिए चलते हैं जानने के लिए ।
जी हां आज है शिक्षक दिवस। बेहद खास दिन सभी शिक्षकों के लिए। शिक्षक की अगर मैं बात करूं तो शिक्षक से बढ़कर कोई भी व्यक्ति नहीं होता जो बालक के जीवन को संवारता है। शायद माता-पिता के बाद शिक्षक ही एक ऐसा व्यक्ति होता है जो अपने विद्यार्थी की सफलता को अपनी सफलता समझता है।
हम में से बहुत सारे लोग शायद इस बात को नहीं जानते हैं कि शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है।
जी हां शिक्षक दिवस 5 सितंबर को हर साल मनाया जाता है। तो वहीं 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस भी मनाया जाता है।
भारत में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस की याद में शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। जिसका मकसद सभी शिक्षकों के महत्व को बताना था। ठीक इसी तरह दुनिया भर में शिक्षकों के महत्व को समझाने के उद्देश्य से 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में भी मनाते हैं।
हर इंसान के जीवन में शिक्षक का महत्व माता-पिता से भी ऊपर होता है क्योंकि वह एक ऐसे व्यक्ति होते हैं जो चरित्र और भविष्य को संवारने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। तो चलते हैं जाने के लिए शिक्षक दिवस की शुरुआत कैसे और कब हुई थी ।
शिक्षक दिवस सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
वह एक महान शिक्षक थे इसके साथ-साथ वह स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरों राष्ट्रपति भी रहे ।5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में राधाकृष्णन जी का जन्म हुआ था। और राधाकृष्णन को भारत रत्न से भी नवाजा गया।।
5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने के पीछे एक कहानी है।
कहा जाता है कि एक बार सर्वपल्ली राधाकृष्णन के छात्रों ने उनके जन्मदिन का आयोजन करने के लिए पूछा तब राधाकृष्णन ने उनसे कहा कि आप मेरा जन्मदिन में मनाना चाहते हैं यह अच्छी बात है लेकिन अगर आप इस खास दिन को शिक्षकों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान और समर्पण को सम्मानित करते हुए मनाए तो मुझे बहुत ज्यादा खुशी होगी।
उनकी इस इच्छा का सम्मान करते हुए हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
शिक्षक दिवस के अवसर पर देश भर में श्रेष्ठ शिक्षकों का चुनाव भी किया जाता है। जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया और उन्हें भारत सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जाता है।
एक छोटी सी कविता मेरी सभी शिक्षकों के सम्मान में।
करने गुरु की महिमा का बखान ,
पास मेरे शब्द नहीं,
देने सभी गुरुओं को सम्मान,
इक छोटी है कोशिश मेरी ।
एक कोरे कागज से गुरु,
बालक को ज्ञान की पुस्तक बनाता है ।
जो जलकर स्वयं दीपक की तरह ,
बालक के जीवन में प्रकाश ज्ञान का फैलाता है।
गुरु बनकर छांव घनी पेड़ की ,
बालक के भविष्य को संवारता है।
गुरु बनकर ज्ञान की स्याही ,
भविष्य बालक का लिखता है।
गुरु बनकर एक कुम्हार,
बालक के जीवन को आकार देता है।
जन्म देते हैं अगर माता पिता बालक को,
तो गुरु बालक के भविष्य को बनाता है।
शिक्षक दिवस पर छोटी सी कविता मेरी,
सभी गुरुओं को समर्पित यह कविता मेरी।
शिक्षक दिवस की सभी गुरुओं और साथ ही सभी माता-पिता ओं को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं जो बालक के प्रथम अध्यापक होते हैं ।
बहुत-बहुत धन्यवाद तेरा ब्लॉग पढ़ने के लिए।
☺☺☺
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