2 अक्टूबर बेहद खास दिन सभी भारतीयों के लिए क्योंकि आज के दिन जन्म हुआ था देश के महान दो नेताओं का गांधीजी और लाल बहादुर शास्त्री जी का ।
जिन्होंने देश के लिए महान कार्य किए औरअपने महान कार्यों से भारत देश को कर्जदार बना दिया। उन्हीं के जन्मदिन के अवसर पर 2 अक्टूबर का दिन बड़े धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है।
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था ।
उनकी याद में ही 2 अक्टूबर का दिन मनाया जाता है ।गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था ।लेकिन ज्यादातर लोग बाबू के नाम से जानते हैं ।हालांकि अपने जन्मदिन को मनाए जाने के बारे में बापू खुद यह कहते थे कि मेरे मरने के बाद मेरी कसौटी होगी कि मेरा जन्मदिन मनाया जाए या नहीं ।
15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया गया ।
भारत में गांधी जयंती पर प्रार्थना सभाओं और राज घाट नई दिल्ली पर विशेष रूप से गांधी प्रतिमा के सामने श्रद्धांजलि देकर राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाई जाती है। महात्मा गांधी की समाधि पर राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री द्वारा प्रार्थना आयोजित की जाती है। और जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था वहीं पर उनका पसंदीदा भजन रघुपति राघव राजा राम की स्मृति में गाया जाता है ।पूरे भारत में इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
2 अक्टूबर को एक और महान नेता का जन्मदिन मनाया जाता है और यह नेता मेरे सबसे पसंदीदा नेता रहे शुरू से ही। चलते हैं इनके बारे में जाने के लिए।
लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन बेहद कठिन रहा इनका जन्म 2 अक्टूबर 19०४ को उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर मुगलसराय में हुआ था।
शास्त्री जी का जीवन बेहद प्रभावशाली था।गांधी जी के साथ उन्होंने अनेक आंदोलनों में हिस्सा लिया था। उनकी पिता मुंशी शारदा प्रसाद थे, जो पेशे से शिक्षक थे ।उनकी मां राम दुलारी Ji थी।
बचपन में ही शास्त्री जी के पिता का देहांत हो गया। पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां बच्चों को देकर अपने पिता के घर मिर्जापुर चली गई थी ।शास्त्री जी का पालन पोषण मिर्जापुर में ही हुआ ।यहीं पर की सारी शिक्षाएं हुई।।
लाल बहादुर शास्त्री जी ने महात्मा गांधी जी के साथ अनेक आंदोलनों में हिस्सा लिया।
शास्त्री जी ने असहयोग आन्दोलन से लेकर भारत छोड़ो आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शास्त्री जी १९६४ में भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। इस दौरान देश अन्न संकट के कारण भुखमरी की स्थिति से गुजर रहा था।
ऐसे में शास्त्री जी ने देशवासियों को सेना और जवानों का महत्व बताने के लिए
"जय जवान जय किसान का "
नारा दिया था। इस संकट के काल में शास्त्री जी ने अपनी तनख्वाह लेना भी बंद कर दिया था ।और देश के कई लोगों से अपील की कि वह हफ्ते में एक दिन जरूर उपवास रखें। ऐसे थे हमारे महान शास्त्री जी। आज ना शास्त्री जैसे लोग होंगे और ना ही उनके जैसे त्याग की भावना रखने वाले नेता ,जो जनता की समस्या को अपनी समस्या समझे।
आज 2 अक्टूबर के दिन उनके ऊपर मैंने एक छोटी सी कविता बनाई है।
बचपन जिनका कठिनाई से भरा था ,
जीवन जिनका आडंबर से कोसो दूर था।
जिसने "जय जवान जय किसान" का नारा देकर,
जिन्होंने बढ़कर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था।
जीवन जिनका सीधा-सीधा बड़ा था ,जो सदैव देश में सच्चाई के लिए लड़ा था।
भारत मां का वह एक सच्चा पुत्र था,
किसान भाई का जो सच्चा मित्र था।
2 अक्टूबर दिन वह महान था ,
लेकर जब जन्म इस देश को जिसने पवित्र किया था।
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