नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में।
मैं आज लेकर आई हूं जानकारी छोटी सी अपनी दशहरा के बारे में ।
9 दिन तक मां दुर्गा के नवरात्रि के बाद 10वे दिन विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है।
हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरे का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
आज का दिन वह पवित्र दिन है जब बुराई पर अच्छाई की जीत के त्यौहार के रूप में यानी दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
किसी भी पर्व को मनाने से पहले ही इस बात की जानकारी होना बेहद आवश्यक है कि वह त्यौहार क्यों मनाया जाता है ।तो चलिए चलते हैं जाने के लिए दशहरा के पीछे की छोटी सी कहानी।
पौराणिक कथा के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत श्रीराम ने की थी ।
अश्विन मास में श्रीराम ने मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की थी ।
यह तो सब जानते हैं कि रावण ने भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान मां सीता का हरण किया था ।भगवान श्री राम ने माता सीता को बचाने के लिए अधर्मी रावण का वध भी किया था ।कई दिनों तक रावण के साथ युद्ध होने के बाद श्री राम ने रावण को मारा था।
रावण से इस युद्ध के दौरान भगवान श्रीराम ने अश्विन मास की शारदीय नवरात्रि के दिनों में लगातार नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की थी।
उसके बाद ही मां दुर्गा के आशीर्वाद से भगवान श्रीराम ने शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन रावण का वध किया था ।
अपनी पत्नी सीता और दूसरे लोगों को रावण के अत्याचारों से बचाया था।
बस इसी परंपरा को हर साल मनाया दशहरा के रूप में मनाया जाता है ।
और बुराई पर अच्छाई की जीत को सभी भारत देश के राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
हर वर्ष दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों पर रावण द्वारा तीर से दहन भी किया जाता है।
इन तीनों पुतलो के जलने के बाद ही बुराई का अंत माना जाता है।
दशहरा से जुड़ी भी कुछ रोचक बातें भी है ।वह की दशहरा भगवान राम और मां दुर्गा दोनों की शक्ति को प्रकट करने का प्रतीक भी माना जाता है ।देवी दुर्गा ने भगवान राम को राक्षस राजा रावण को मारने का रहस्य बताया था।
इसी कारण नवरात्रि में 9 दिन तक देवी की पूजा करने के बाद ही दसवें दिन रावण का दहन किया जाता है।
इसी प्रकार दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है।
वह रामजी थे जिन्होंने रावण की बुराइयों का अंत किया और उसे दशहरा के रूप में आज तक हम सभी मनाते हैं ।
लेकिन आज भी हमारे समाज में बहुत सारे ऐसे रावण हैं जिनका आज भी अंत नहीं हो पाया है। न जाने वह दिन कब आएगा जब समाज पनप रहे रावण का अंत होगा और यह समाज भी रामराज्य की तरह बन पाएगा।
एक ऐसा रामराज्य जहां किसी भी व्यक्तियों में असमानता न हो और ना ही नारियों के ऊपर अत्याचार हो।
आप सभी को दशहरा की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
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