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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

प्राकृतिक आपदा उत्तराखंड में

नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में।

 आज मैं लेकर आई हूं एक छोटी सी जानकारी उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के बारे में।





उत्तराखंड पहाड़ों से घिरा हुआ एक ऐसा खूबसूरत राज्य जिसकी प्राकृतिक सुंदरता पूरे भारत में प्रसिद्ध है ।जहां पर घूमने के लिए ना केवल भारत में बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं।




लेकिन 17 अक्टूबर को हुई बरसात के वजह से जो 18 तारीख को जो प्राकृतिक आपदा उत्तराखंड में आई है उससे उत्तराखंड के बहुत सारे ऐसे राज्य हैं और छोटे-छोटे गांव है जो पूरी तरीके से तबाह हो गए।

 न जाने कितने लोगों ने अपने घर को अपनों को  इस  तबाही में  खो दिया है।

उत्तराखंड के ऐसे कई राज्य हैं और ऐसे कई गांव है जहां पर भूस्खलन से न जाने कितने घर दब गए और यहां तक की सड़क मार्ग में भी काफी नुकसान हुआ है।
 उत्तराखंड के कई हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदा में मरने वालों का आंकड़ा 47 पर पहुंच गया है। अभी भी लापता लोगों को ढूंढा जा रहा है ।अकेले nainital में 25 लोगों की मौत हुई है ।
उत्तराखंड में आई इस तबाही के कारण काफी लोगों ने अपने प्राणों को खो दिया है। उत्तराखंड में  बारिश और अचानक बाढ़ से तबाही का भयानक नजारा आप देख सकते हैं । राज्य के कई हिस्सों में काफी नुकसान पहुंचा है।
इस असमय बारिश और बाढ़ की वजह से लोगों को  काफी मात्रा में नुकसान हुआ है और बादल फटने की वजह से जो गांव में सैलाब आया है अभी भी लोगों को निकालने की कोशिश  जारी है।

उत्तराखंड के कुमाऊं में पानी का स्तर कम हो रहा है लेकिन रास्ते खुलने में भी अभी वक्त लगेगा सड़क मार्ग यहां तक रेल की पटरियों को भी भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा है। 

 जिस वजह से कई ऐसे गांव  है जहां उनका संपर्क दूसरे इलाकों से टूट चुका है क्योंकि उत्तराखंड पर्यटन क्षेत्र है तो इस वजह से यहां पर चीजों को ठीक होने में काफी समय लगता है ।

वैसे उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र को अधिक नुकसान पहुंचा है इस असमय  आई हुई बारिश और बाढ़ की वजह से।

बड़ी संख्या में लोग जगह-जगह फंसे हुए हैं और। SDRF और NDRF    के साथ पुलिस की कई टीमें भी लोगों को बचाने में लगी हुई है।


राज्य में राहत और बचाव में मदद के लिए भारतीय वायु सेना के तीन हेलीकॉप्टरों को लगाया गया है ।इनमें से दो nainital जिले में तैनात किए गए हैं। जो बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से बुरी तरह प्रभावित हुए है। जिन्हें प


क्योंकि नैनीताल में भूस्खलन की वजह से माल रोड को काफी नुकसान पहुंचा हुआ है। अभी भी वहां सड़कों से मलबा हटाने का काम भी जारी है ।
रामनगर में आर्मी के हेलीकॉप्टर की मदद से दो दर्जन से ज्यादा गांव वालों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा चुका है ।
पंतनगर में तीन चौकों पर 25 लोगों को रेस्क्यू करने के लिए वायुसेना का हेलिकॉप्टर की मदद लेनी पड़ी ।सड़कों पर मलवा आने की वजह से पर्यटक स्थलों का संपर्क दूसरे क्षेत्रों से बिल्कुल टूट गया है।
 इस वजह से लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तराखंड में ऐसे भी गांव है जहां लोगों को खाने तक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है क्योंकि  सड़कों में मलबा आने के कारण वहां पर दुकानों में समान नहीं आ पा रहा है जिस वजह से गांव के लोगों को खाने के लिए भी तरसना पड़ रहा है।

इस प्राकृतिक आपदा के कारण बहुत सारे ऐसे गांवों के किसान भाई हैं जिनके पशु यहां तक कि खेत भी इस बाढ़ की तबाही में पूरी तरह बह चुके हैं और उन्हें काफी नुकसान हुआ है।


इस तबाही को देखकर ऐसा ही लगता है जैसे मनुष्य ने जिस तरह उत्तराखंड में पेड़ों को काटकर अनेक प्रकार के होटलों और रिजॉर्ट का निर्माण कर रहा है तो प्रकृति भी मनुष्य से नाराज होकर ऐसा दृश्य मनुष्य को दिखा रही हैं।

 पर सबसे ज्यादा दुख की बात इस तबाही में सबसे ज्यादा नुकसान निर्धन किसानों को हुआ है। 

सच में इस तरह की बाढ़ में प्रकृति ने यह साबित कर दिया है की प्रकृति के आगे किसी का भी वश नहीं है और प्रकृति अपना अधिकार क्षेत्र में किसी का भी हस्तक्षेप सहन नहीं करती है।


उत्तराखंड में aai इस तबाही में जिन लोगों ने अपनों को अपने घर को खो दिया है उन लोगों को ईश्वर शक्ति दे इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए ताकि वे सब वापस अपना जीवन पहले की तरह शुरू कर सकें।



बहुत-बहुत धन्यवाद मेरा ब्लॉग पढ़ने के लिए

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