नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में ।मैं आज लेकर आई हूं बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी सावित्री बाई फूले के बारे में।जिनका आज जन्मदिन है। तो चलिए चलते हैं जानने के लिए उनके बारे में जानकारी।
सावित्रीबाई फुले जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। सावित्रीबाई फूले का जन्म आज के दिन यानी 3 जनवरी 1831 में में हुआ था।सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका और समाज सुधारक एवं मराठी कवित्री के नाम से भी जानी जाती है ।
उन्होंने अपने पति ज्योति राव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए।
वे भारत की प्रथम महिला शिक्षिका थी उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का आदि कवित्री भी माना जाता है ।
1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की।सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल के संस्थापक भी रही।
महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत के सामाजिक सुधार आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है ।उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए भी जाना जाता है ।ज्योति राव बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए। जो सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक भी थे।
सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह जिया ।उनका उद्देश्य था कि विधवा विवाह करवाना ,छुआछूत मिटाना ,महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना ही उनका जीवन का एक लक्ष्य था।
वे कवित्री भी थी ।उन्हें मराठी कीआदि कवि के रूप में भी जाना जाता है।
ऐसा नहीं है कि सावित्रीबाई फुले को अपने जीवन में किसी तरह का कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा।
कहा जाता है वह जब स्कूल जाती थी तो विरोधी लोगों उन पर पत्थर मारते थे ।उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 171 साल पहले बालिकाओं के लिए जब स्कूल खोलना भी पाप माना जाता था। यह तब की बात है।
कहां जाता है सावित्री बाई फुले के पिता को उनका पढ़ना बिल्कुल भी पसंद नहीं था।
एक दिन सावित्री बाई फुले अंग्रेजी की किताब के पन्नो को पलट रही थी ,तो उनके पिता ने उनकी हाथ से किताब को छीन कर फेंक दिया ।इसके पीछे यह वजह बताई जाती है कि शिक्षा का हक उस समय केवल उच्च जाति के पुरुषों का ही अधिकार था ।
दलित और महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करना पाप माना जाता था। इसके बाद सावित्रीबाई फुले किताब को वापस लेकर आई और उन्होंने तब से यह निश्चय किया कि अब जो भी हो जाए वह पढ़ना जरूर सीखेंगी।
कहा जाता है सावित्रीबाई फुले जब केवल 9 वर्ष की थी तो उनका विवाह 13 साल के ज्योति राव फूले से कर दिया गया था ।जिस समय सावित्रीबाई फुले की शादी हुई थी उस समय सावित्रीबाई फुले को पढ़ना लिखना नहीं आता था ।वह पूर्ण रुप से अनपढ़ थी। वहीं उनके पति तीसरी कक्षा में पढ़ते थे।
सावित्रीबाई फुले ही थी जिन्होंने भारत की लड़कियों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
इसीलिए आज के दिन 3 जनवरी को भारत की पहली महिला शिक्षिका, समाज सेविका सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले जी की जयंती है।
आज सावित्रीबाई फुले हम सबके बीच नहीं है पर सावित्रीबाई फुले ही हैं जिन्होंने बालिकाओं के लिए शिक्षा का मार्ग बनाया था।
करते हैं नमन भारत की पहली महिला शिक्षिका ज्योतिबा बाई फुले को हम,
जिन्होंने बालिकाओं के लिए मार्ग शिक्षा का प्रशस्त किया।
देते हैं श्रद्धांजलि दिल से ज्योतिबा बाई फुले को सभी,
करके महिलाओं को शिक्षित जिन्होंने,अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
आप सभी का मेरा ब्लॉक पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
Comments