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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

राष्ट्रीय रेल म्यूजियम


नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में।





 मैं आज लेकर आई हूं बेहद खास जानकारी रेल म्यूजियम   की  जो कि है दिल्ली में उसके बारे में मेरी जानकारी तो चलिए चलते हैं रेल म्यूजियम की जानकारी लेने के लिए।

रेल म्यूजियम इसे राष्ट्रीय रेल संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है और जो स्थित है भारत की राजधानी दिल्ली में ।रेल म्यूजियम दिल्ली में जिस स्थान पर है जो 10 एकड़ के विशाल क्षेत्र में हरे भरे बागानों के बीच में स्थित है ।दिल्ली की सबसे प्रसिद्ध और घूमने वाली जगह में से एक मानी जाती है। रेल म्यूजियम मेरी और मेरे बच्चों की सबसे पसंदीदा जगह में से एक है।
हम जानते हैं  रेल म्यूजियम के इतिहास के बारे में। 
बात मैं अगर करूं रेल म्यूजियम की इतिहास की तो रेल म्यूजियम 1 फरवरी सन 1977 को स्थापित किया गया था।  जो रेल संग्रहालय को मुख्य रूप से भारत की 163 वर्ष पुरानी रेलवे विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था ।

जिसमें भारतीय रेलवे की प्राचीन वस्तुएं, फर्नीचर सहित 100 से अधिक वस्तु में देखी जा सकती हैं । रेल म्यूजियम अपने पर्यटकों के लिए के लिए 3D वर्चुअल ट्रेन की सवारी ,स्टीम लोको सिम्युलेटर टॉय ट्रेन और indoor  गैलरी की सुविधा भी प्रदान करता है। इसके अलावा म्यूजियम में 200 लोगों की बैठने की भी व्यवस्था वाली एक सभागार भी है । जहां कभी कभार कार्यशाला आयोजित की जाती है।

रेल म्यूजियम में हम लोग गए तो हमारे जाने से पहले काफी तेज बारिश हो गई ।तो बहुत सी जगह थी रेल म्यूजियम में जहां हम अच्छे से घूम नहीं पाए। लेकिन अगर अक्टूबर और मार्च के समय में अगर आप रेल म्यूजियम जाएंगे तो रेल म्यूजियम का आनंद और भी अच्छे से उठा पाएंगे क्योंकि इस समय ना तो ज्यादा गर्मी होती है ना ही सर्दी।
 गर्मियों के समय में रेल म्यूजियम में घूम नहीं पाते हैं क्योंकि हमें पैदल चलकर घूमना होता है तो हमें गर्मी लग सकती है इसलिए 2 महीने मेरे ख्याल से ऐसे महीने है जहां पर आप आराम से रेल म्यूजियम का आनंद उठा सकते हैं।

रेल म्यूजियम कि अगर हम बात करें तो 1977 में यह बनकर तैयार हुआ था ।लेकिन रेल म्यूजियम का इतिहास 1962 से शुरू हुआ जब इसे बनाने पर विचार किया गया था लगभग 10 साल के इंतजार के बाद  के बाद रेल के उत्साही माइकल ग्राहम की सलाह के तहत 1970 में इस पर विचार किया और इसे  आकार मिला। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने चाणक्यपुरी भवन में रेल म्यूजियम की आधारशिला रखी थी। जिसे रेलवे परिवहन संग्रहालय कहा जाता था और इसका उद्देश्य रेलवे के अलावा रोडवेज, वायु मार्ग ,और जलमार्ग के इतिहास को भी कवर करना था ।1977 में इसका उद्घाटन उस समय के रेल मंत्री कमलापति त्रिपाठी के हाथों से किया गया।

रेल म्यूजियम जो चीजें दर्शनी है उनमें से सबसे पहले फेयरी क्वीन है ।यह सबसे पुराना काम करने वाला स्टीम लोकोमोटिव है जो बच्चों के बीच खास पसंद मानी जाती है।

पटियाला स्टेट मोनोरेल मूल रूप से 1907 में निर्मित, सिंगल रेल का एक ट्रैक है जिसे 1927 में पुनर्निर्मित और बहाल किया गयाथा।




फायर इंजन जॉन मॉरिस एंड संस लिमिटेड द्वारा निर्मित अभी तक केवल 2 मॉरिस बेलसाइज इंजन मौजूद हैं जिनमें से एक को यहां प्रदर्शित किया गया है दूसरे को वाइट वेब्स म्यूजियम ऑफ ट्रांसपोर्ट प्ले हिल लंदन स्थापित किया गया है।जॉन मॉरिस फायर इंजन को कांच के शीशे के अंदर बंद किया गया है जो दिखने में बेहद खूबसूरत लगता है।
प्रिंस ऑफ वेल्स का सलून बात करें अगर हम प्रिंसेस सैलून की तो यह ट्रेन प्रिंस वेल्स की भारत यात्रा को सम्मान देने के लिए बनाई गई है ।

होलकर के महाराज के सलून । इस रेल का निर्माण का इंदौर के महाराज को सम्मान देने के लिए बनाया गया है।


मैसूर महाराजा का सलून। इस रेल का निर्माण भी मैसूर के महाराज के सम्मान के उपलक्ष में बनाया गया है।


भारत की पहली पीढ़ी का 1500 डीसी। लोकोमोटिव इंजन खूबसूरत रेलों में से एक मानी  जाती   है।आराम और गति के समय जब जब ट्रेन चलती है तो उसकी आवाज में समानता होती है ।

बहुत सारी चीजों की मैं जानकारी नहीं दे पाई क्योंकि बारिश बहुत ज्यादा हो गई थी इसीलिए मैंने जो मुख्य रूप से रेल म्यूजियम में है उसको अपने ब्लॉग में लिख कर दिया है आप इसे पड़कर  आनंद उठा सकते हैं।



बात करते हैं हम रेल म्यूजियम कैसे और कब पहुंचे रेल म्यूजियम में जाने का जो समय है वह गर्मियों की अगर में बात करु तो  सुबह 9:30 से लेकर शाम को 7:00 बजे तक खुले रहने का होता है और अगर मैं सर्दियों की बात करूं तो इसका जो टाइमिंग है वह सुबह 9:30 से शुरू होता है और शाम को 5:00 बजे खत्म हो जाता है।


अब आते हैं हम ट्रेन म्यूजियम में टिकट की तो रेल म्यूजियम मैं सोमवार से शुक्रवार जो टिकट है वह बड़ों की ₹20 और छोटो की ₹10 से स्टार्ट है।बात करु अगर मैं  शनिवार और इतवार की तो यहां पर टिकट बड़ों की और छोटो की जस्ट डबल हो जाती है छोटू की ₹20 और बड़ों की ₹40 हो जाती  है।।


बात करें अगर अंदर टॉय ट्रेन में बैठने की तो उसका टिकट ज्यादा नहीं है। अगर मैं बात करूं स्टीम लोको सिमुलेटर की तो उसकी 150रुपए है।

बात करें  अगर मैं 3D वर्चुअल कुछ राइड की तो इसमें एक व्यक्ति की टिकट ₹100 है।तो रेल म्यूजियम   में घूमने की बहुत सारी जगह है जहां पर आप सभी लोग बच्चों को ले जाकर उनको खुश कर सकते हो।

 अगर मेरा ब्लॉग आपको लोगों को पसंद आए तो मेरे  ब्लॉग को शेयर करें और कमेंट कीजिए।


धन्यवाद

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