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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

चलो फिर वही बचपन की यादों में चलते हैं


नमस्कार स्वागत है सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में।

 मैं लेकर आई हूं आज उन पलों को जो हम सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। तो
 चलिए चलते हैं जाने के लिए वह पल कौन से हैं।

बचपन हमारे जीवन का सबसे सुंदर पल होता है। जहां  न भविष्य की चिंता होती है ना ही किसी और चीज की फिक्र। माता पिता का साया हम सभी के ऊपर होता है तो सारी सारी चिंता और फिक्र हमारे माता-पिता के ऊपर ही होती है। ना बचपन में हमें किसी काम की चिंता होती है ना किसी और चीज की है इसीलिए बचपन हम सभी के जीवन का सबसे सुंदर पल माना जाता है। जैसे जैसे बच्चा बढ़ता है वैसे वैसे चिंताएं भी बच्चे की बढ़ने लगती है ।इसलिए आज के समय को देखकर लगता है कि आज के बच्चों का बचपन कहीं गुम सा होता जा रहा है । 

बढ़ते करोना की वजह से पिछले 2 साल में बच्चे बिल्कुल घरों में बंद हो गए हैं ।ऊपर से ऑनलाइन शिक्षा का दबाव बच्चों में काफी पढ़ रहा है। तुम्हें आज हमारे समय में जो बचपन हुआ करता था उस समय को याद करके अपनी छोटी सी कविता पेश कर रही हो।



चलो फिर वही बचपन की यादों में चलते हैं,
 भूल कर काम रोज के उसी दौर में चलते हैं।


 रोज के काम घर के ,वही रूटीन रोज के ,ऑनलाइन क्लास के प्रेशर से दूर कहीं  चलते हैं,
 चलो फिर वही बचपन की यादों में चलते हैं।

घर के वही बोरिंग से काम,
 वही झाड़ू पोछा, कपड़े बर्तन, इन सब बातों से,
 कुछ पल के लिए दूर होते हैं,
 चलो फिर वही बचपन की यादों में चलते हैं।

जहां ना हो सुबह उठने की चिंता ,मोबाइल में बजते अलार्म की चिंता, क्या बनाऊं सुबह न इन बातों की चिंता ,
इन सभी बातों से दूर चलते हैं ,
चलो फिर वही बचपन की यादों में चलते हैं।


ना दोपहर और शाम के खाने में क्या बनेगा,इस बात की चिंता,
 बच्चों ने किया होमवर्क  या नहीं इस बात की चिंता,
 कपड़े छत से उतारें या नहीं इस बात की चिंता,
 ना बाजार से सब्जी और राशन लाने की चिंता,
भूल के इन सभी बातों को कुछ पल के लिए ही सही,
 चलो फिर वही चलते हैं,
फिर वही बचपन की यादों में चलते हैं ।

कुछ पल ही सही दुनियादारी को चलो भूल जाते हैं,
 चलो फिर वही बचपन की यादों में चलते हैं।


धन्यवाद आपका मेरा ब्लाॅग पढ़ने के लिए 


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