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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

Earth Day

नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में।



 मैं आज लेकर आई हूं पृथ्वी दिवस  के बारे में अपनी छोटी सी जानकारी । पृथ्वी दिवस क्या है और क्यों मनाया जाता है विश्व में तो चलिए चलते हैं जानने के लिए पृथ्वी दिवस दिवस क्या है।



हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस 1970 में आधुनिक पर्यावरण आंदोलन के जन्म की वर्षगांठ का प्रतीक के रूप में मनाना जाता है।


बात शुरू होती है 1960-70 के दशक से, जब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही थी। पूरे के पूरे जंगल साफ़ किए जा रहे थे। दुनिया का ध्यान इस तरफ आकर्षित करने और पृथ्वी के संरक्षण करने या बचाने के लिए सितम्बर 1969 में सिएटल, वाशिंगटन में एक सम्मलेन हुआ।

इस सम्मलेन में विस्कोंसिन के अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने यह घोषणा की कि 1970 की वसंत में पर्यावरण पर राष्ट्रव्यापी जन साधारण प्रदर्शन किया जाएगा। 1970 में हुए इस राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन में अमेरिका में स्कूलों, कॉलेजों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जिससे इस आंदोलन में बीस हज़ार लोग शामिल हुए



पृथ्वी दिवस मानना आरम्भ हो चुका था पर वैज्ञानिकों के लिए या पर्यावरणविदों के लिए अभी भी बढ़ता प्रदूषण और पृथ्वी का बिगड़ता संतुलन चिंता के विषय थे। सभी को चिंता थी कि अगर स्थिति ऐसी ही बिगड़ती रही तो जंगल,जमीन,जीव,जंतु सभी लुप्त हो जाएंगे। 

इसी विषय को ध्यान में रखते हुए 1992 में ब्राज़ील की राजधानी रिओ डे जेनेरिओ में एक सम्मलेन हुआ जिसे अर्थ समिट, पृथ्वी सम्मेलन या रिओ समिट के नाम से जाना गया। इस सम्मेलन में 172 देशों के प्रतिनिधियों, हजारों स्वयंसेवी संगठनों और अनेक बहुराष्ट्रीय निगमों ने भाग लिया।
इस सम्मेलन से पृथ्वी को विश्व राजनीति से एक ठोस आधार मिला जिसके बाद एजेंडा-21 पारित किया गया जो पृथ्वी के संरक्षण का मार्गदर्शक बना है। हर वर्ष 22 अप्रैल यानि विश्व पृथ्वी दिवस पर संयुक्त राष्ट्र और यूनेस्को द्वारा एक थीम जारी की जाती है जिसके माध्यम से विश्व के सभी 192 देशों में यह यह मनाया जाता है।

इस थीम के माध्यम से पृथ्वी के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना आसान हो जाता है। वर्ष 2020 में जब दुनिया कोरोना जैसे नए वायरस से लड़ रही थी, लॉक डाउन, क़्वारंटीन, कॉन्सेंट्रेटर जैसे भारी भारी शब्द पहली बार सुनने को मिल रहे थे,तब भी विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया, एक ऐसे जज़्बे के साथ कि जब यह महामारी समाप्त हो जाएगी तो हम इस पृथ्वी का पुनरुत्थान करेंगे और फिर से एक बेहतर दुनिया बनाएंगे। 2020 में इस दिन की थीम थी  क्लाइमेट एक्शन

2021 में जब दुनिया की स्थिति सुधरने लगी और जीवन पटरी पर आने लगा तब इस दिन की थीम थी रिस्टोर आवर अर्थ। इस वर्ष 2022 में इसकी थीम है हमारी धरती, हमारा स्वास्थ्य। जैसी स्थिति पृथ्वी की होती है वैसा ही जन जीवन प्रभावित होता है और वैसे ही हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है।  
 
विश्व पृथ्वी दिवस का बहुत महत्व है, यह एक ऐसा दिन है जो हमें अपने आभामंडल से निकल कर पृथ्वी के बारे में सोचने और कुछ करने को विवश करता है। घटती हरियाली, सूखता पानी,पिघलते ग्लेशियर, बढ़ता तापमान इत्यादि विषयों की वास्तविकता से हम अवगत होते हैं। धरती की सुरक्षा के लिए प्रेरित करना और इसे एक कर्त्तव्य समझने का सन्देश हम पूरे विश्व में इस दिवस के माध्यम से देते हैं। 



आज इस पत्र दिवस पर मेरी छोटी सी कविता ।


एक मां जो जन्म देती,
 एक मां जो लालन - पालन करती।


 वह मां पृथ्वी हम सबकी ,
जो दया दृष्टि सभी पर बरसाती ।

जीवन भर जो सिर्फ देती रहती ,
बदली में ना कभी कुछ लेती ।

पृथ्वी मां का कैसे कर्ज उतारे,
 जे सदा हम सब पर उपकार करती।


 असीम सहनशीलता इस धरती मां में,
 पानी से जो सभी की प्यास बुझाती।
 एक उपकार हम सब पृथ्वी मां पर कर सकते हैं,
 इस सुंदर धरती को दूषित होने से हम सभी बचा सकते हैं।







हर एक मानव एक पेड़ लगाकर ,
धरती को हरा भरा कर सकते हैं।

Make everyday ,
Earth day.


बहुत-बहुत धन्यवाद आप सभी का मेला ब्लॉग पढ़ने के लिए।

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