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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

गुरु पूर्णिमा

नमस्कार स्वागत है सभी का एक बार फिर से मैंने ब्लॉग में। 

Happy Guru Purnima 

 मैं लेकर आई हूं आज बहुत ही खास दिन के बारे में मेरी छोटी सी जानकारी  गुरु पूर्णिमा के बारे में।



 आज का दिन गुरुओं को समर्पित होता है चलिए चलते हैं क्यों मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा। 


हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा मतलब गुरुओं का दिन। गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेद व्यास जी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। हिंदू धर्म में गुरुओं को विशेष स्थान प्राप्त होता है क्योंकि गुरु ही होते हैं जिन्होंने वेद-पुराणों की रचना की। इस साल गुरु पूर्णिमा का त्योहार बुधवार 13 जुलाई 2022 को है। लेकिन बहुत लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि गुरु पूर्णिमा की शुरुआत कैसे और कब हुई तो चले चलते हैं जानने के लिए।


गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?


गुरु के ब‍िना न तो जीवन की सार्थकता है और न ही ज्ञान प्राप्ति संभव है। ज‍िस तरह हमारी प्रथम गुरु मां हमें जीवन देती हैं और सांसर‍िक मूल्‍यों से हमारा पर‍िचय कराती हैं। ठीक उसी तरह ज्ञान और भगवान की प्राप्ति का मार्ग केवल एक गुरु ही द‍िखा सकता है। यानी क‍ि गुरु के ब‍िना कुछ भी संभव नहीं है। शायद यही वजह रही होगी क‍ि गुरु पूजा की शुरुआत की गई। लेक‍िन क्‍या आप जानते हैं क‍ि आषाढ़ माह में ही गुरु पूर्णिमा क्‍यों पड़ती है और आख‍िर क‍िसने यह परंपरा शुरू की?


शास्त्रों में ' गु 'का अर्थ बताया गया है- अंधकार और 'रु' का का अर्थ- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाता है। प्राचीन काल में शिष्य जब गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन पूर्ण श्रद्धा से अपने गुरु की पूजा का आयोजन करते थे।


सनातन संस्कृति में गुरु देवता को तुल्य माना गया है। गुरु को हमेशा से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूज्य माना गया है। वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले वेद व्यासजी को समस्त मानव जाति का गुरु माना जाता है। महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 ई. पूर्व में हुआ था। उनके सम्मान में ही हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन व्यास जी ने शिष्यों एवं मुनियों को सर्वप्रथम श्री भागवतपुराण का ज्ञान दिया था। अत: यह शुभ दिन व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।


गुरु पूर्णिमा गुरुओं को समर्पित तो होता ही है साथ ही हिंदू धर्म में आज गुरु पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी नारायण की भी पूजा की जाती है जो विशेष महत्व रखती है।
आज के दिन हिंदू धर्म में सभी लोग जीवन में आई अपनी अलग अलग तरह की परेशानियों को दूर करने के लिए लक्ष्मी नारायण की भी पूजा करते हैं।

गुरु पूर्णिमा पर मेरी एक छोटी सी कविता सभी गुरुओं को जो अपने शिष्य के जीवन को साकार करते हैं।

सभी गुरुओं को समर्पित मेरी एक छोटी सी कविता

शिष्य की अज्ञानता की गहराई को नाप लेते हैं गुरु,

 शिष्य को एक कोरे कागज से ज्ञान की पुस्तक बनाते हैं गुरु। 


 शिष्य के जीवन को साकार दिशा देकर,


शिष्य के जीवन को आकार देते हैं गुरु।

 शिष्य को देकर ज्ञान की छाव,

 भविष्य के लिए तैयार करते हैं गुरु।


 जलकर एक दिए की तरह स्वयं

 शिष्य  के जीवन को  प्रकाश देते हैं गुरु।



Happy Guru Purnima 🙏🙏🙏


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