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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

दक्षिण भारत का खूबसूरत मंदिर तिरुपति बालाजी

नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में।

मैं आज लेकर आई हूं बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दक्षिण भारत के बेहद खूबसूरत और आस्था का प्रतीक तिरुपति बालाजी के बारे में भी छोटी सी जानकारी। तो चलिए चलते हैं जानने के लिए इस मंदिर के बारे में।


दक्षिण भारत बहुत सारे आकर्षक मंदिरों से सुसज्जित है. साथ ही इन मंदिरों की आकृति, इनकी बनावट कुछ इस प्रकार की है कि यहां प्रवेश करते ही एक अद्वितीय अनुभूति होती है।।


इनमें से एक अनोखा मंदिर है तिरुपति बालाजी का, जो न केवल भारत बल्कि विश्व के अनेक देशों में भी प्रसिद्ध है. ये भारतीय वास्तु कला और शिल्प कला का उत्कृष्ट उद्धरण है. आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के मुख्य तीर्थ स्थलो में से एक है। 

जो दिखने में तो बेहद खूबसूरत है लेकिन उतना ही प्रसिद्ध है यहां की आस्था को लेकर। 

इसका वास्तविक नाम श्री वेंकेटेश्वर मंदिर है क्यूंकि यहां पर भगवान वेंकेटेश्वर विराजमान हैं जो स्वयं भगवान विष्णु हैं. ये प्राचीन मंदिर तिरुपति पहाड़ की सातवीं चोटी जिसे वेंकटचला के नाम से जाना जाता है, पर स्थित है. ऐसी मान्यता है कि वेंकट पहाड़ी के स्वामित्व के कारण भगवान विष्णु को भगवान वेंकेटेश्वर कहा गया है।



तिरुपति बालाजी की शिल्प कला तो अद्भुत है ही. साथ ही इस मंदिर के विषय में कुछ ऐसे आश्चर्यजनक तथ्य और रहस्य हैं जिन्हें जानकर आप स्वयं ही भगवान वेंकेटेश्वर के दर्शन के लिए इच्छुक हो जाएंगे। चलते हैं उस उन राशि के बारे में जानने के लिए।



प्रतिमा की स्थिति


जब आप मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करते हैं तो आपको लगेगा कि भगवान श्री वेंकेटेश्वर की प्रतिमा गर्भ गृह के मध्य में स्थित है. आप वहां नतमस्तक होते हैं और भगवान का ध्यान करते हैं. परन्तु जैसे ही गर्भगृह से बाहर आएंगे तो अचंभित रह जाएंगे क्यूंकि बाहर आकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान की प्रतिमा दाहिनी ओर स्थित है. रोचक ये है कि प्रतिमा को इस प्रकार स्थापित किया गया है कि मंदिर में आने वाले प्रत्येक भक्त का अनुभव समान ही रहता है. अब ये केवल भ्रम है या कोई महिमा इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है।

जब भी हम बहुत से मंदिरों में जाते हैं तो हमें स्त्री और पुरुष दोनों रूपों में भगवान के दर्शन होते हैं। जहां पर  देवता है उन मूर्तियों में पुरुषों के वस्त्र पहनाए जाते हैं लेकिन जहां पर  देवियां है तो वहां पर स्त्रियों वाले वस्त्र पहनाए जाते हैं। पर इस मंदिर पर हमें अनोखी चीज देखने को मिलती है।



स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र धारण करते हैं भगवान वेंकेटेश्वर

माना जाता है कि भगवान के इस रूप में मां लक्ष्मी भी समाहित हैं. इसी कारण स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की यहां परम्परा है।



एक ऐसा ही रहस्य है कि माना जाता है कि बालाजी की प्रतिमा को पसीना आता है। 

बालाजी की प्रतिमा को आता है।


मंदिर में बालाजी की बहुत आकर्षक प्रतिमा है. ये एक विशेष पत्थर से बनी हुई है. परन्तु ये इतनी जीवंत है कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान स्वयं ही विराजमान हैं. ऐसा देखा गया है कि बालाजी की प्रतिमा को पसीना आता है, प्रतिमा पर पसीने की बूंदें देखी जा सकती हैं. इसलिए मंदिर में तापमान कम रखा जाता है।


बालाजी का अनोखा गांव। 


वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर से तेईस किलोमीटर दूर पर एक ऐसा गांव स्थित है जहां गांव वालों के अतिरिक्त कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता. यहां के लोग बहुत ही अनुशासित हैं और नियमो का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करते हैं. मंदिर में अर्पित होने वाले प्रदार्थ जैसे की पुष्प,फल,दही,घी, दूध,मक्खन आदि इसी गांव से आते हैं।



गुरुवार को चन्दन लेप लगाया जाता है


प्रत्येक गुरुवार को चन्दन का लेप लगाने के पश्चात अद्भुत रहस्य सामने आता है. भगवान बालाजी का श्रृंगार हटाकर स्नान कराकर चंदन का लेप लगाया जाता है और जब ये लेप हटाया जाता है तो बालाजी के हृदय में माँ लक्ष्मी जी की आकृति दिखाई देती है।


इस मंदिर में अखंड ज्योत जलती है।।


श्री वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर में एक दीया सदैव जलता रहता है आश्चर्यजनक ये है कि इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता. यहां तक कि ये भी नहीं ज्ञात है कि दीपक को सबसे पहले किसने और कब प्रज्वलित किया था।


पचाई कपूर


भगवान वेंकेटेश्वर पर पचाई कपूर लगाया जाता है। इस कपूर के बारे में कहा जाता है कि ये किसी भी पत्थर पर लगाया जाता है तो पत्थर में कुछ समय में दरार पड़ जाती है। लेकिन भगवान बालाजी की प्रतिमा पर इस पचाई कपूर का इस प्रकार का कोई प्रभाव नहीं होता


असली है बालाजी के केश


कहा जाता है कि भगवान वेंकेटेश्वर के केश असली हैं जो कभी उलझते नहीं और हमेशा मुलायम रहते हैं. ये एक अचंभा है कि एक प्रतिमा पर लगे बाल असली कैसे हो सकते हैं?



मंदिर में रखी अद्भुत छड़ी। 


इस मंदिर में अनोखी छङी आप लोगों को देखने को मिलेगी।


मंदिर के दाहिनी ओर एक छड़ी रखी हुई रहती है ये वो छड़ी है जिससे कभी बचपन में बालाजी की पिटाई की गई थी. कल्पना कीजिए ये वो छड़ी है जिसने भगवान को स्पर्श किया था. पिटाई लगने से इस छड़ी से भगवान की थुडी में चोट लग गई थी. इस चोट पर चन्दन का लेप लगाया गया था. इसी कारण उनकी थुडी में चन्दन का लेप लगाया जाता था।



प्रतिमा से आती है लहरों की ध्वनि। कहा जाता है इस प्रतिमा से समुद्र की लहरों की आवाज आती है।



भगवान वेंकेटेश्वर की प्रतिमा पर कान लगाकर सुनें तो समुन्दर की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है. ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान की प्रतिमा सदैव नम रहती है।


इस वैज्ञानिक युग में ऐसे बहुत से चमत्कार इस मंदिर में हमें दिखाई देते हैं ।यह चमत्कार है या कोई और रहस्य आज तक इसे कोई भी नहीं जान पाया है।
 

कुछ चीजों को हमें वैसे ही छोड़ देना चाहिए जैसे वह है ।


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जय बालाजी महाराज की जय
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