नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में।
मैं लेकर आई है बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी। आज है बेहद खास दिन आज है। आज है खेल दिवस जिसे मनाया जाता है मेजर ध्यानचंद के जन्म दिन के रूप में भी। तो चलिए चलते हैं जानने के लिए हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बारे में कुछ अनसुनी बाते।
आज हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का 113वां जन्मदिन है। आज ही के दिन सन 1905 में दुनिया के इस महान खिलाड़ी का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। उनके जन्मदिन को भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
ध्यानचंद ने 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन की। भर्ती होने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। ध्यानचंद काफी प्रैक्टिस किया करते थे। रात को उनके प्रैक्टिस सेशन को चांद निकलने से जोड़कर देखा जाता। इसलिए उनके साथी खिलाड़ियों ने उन्हें 'चांद' नाम दे दिया।
भारत में दिया जाने वाला सबसे बड़ा खेल अवॉर्ड 'राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार' का नाम बदल कर अब 'मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार' कर दिया गया है। शुक्रवार, 6 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लोगों की मांग को देखते हुए हमने इसका नाम हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद के नाम करने का फैसला किया है। ऐसे में आइए नजर डालते हैं 'मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार' की कुछ रोचक तथ्यों पर।
1928 एम्सटर्डम ओलंपिक में ध्यान चंद ने अपनी हॉकी स्किल से दुनिया का दिल जीत लिया। इस ओलंपिक में इस महान खिलाड़ी ने 14 गोल मारे और भारत को गोल्ड मेडल जिताया। एम्सटर्डम के एक स्थानीय अखबार ने लिखा कि ये हॉकी नहीं जादू है और ध्यान चंद इसके जादूगर हैं।
मेजर ध्यान चंद भारतीय हॉकी इतिहास के बादशाह माने जाते हैं। ध्यान चंद ने 1928, 1932 और 1936 ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया था। तीनों ही बार भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता था। हॉकी में दुनिया के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक मेजर ध्यान चंद ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 400 से अधिक गोल दागे। 29 अगस्त को उनके जन्मदिन के मौके पर खेल दिवस मनाया जाता है और इसी दिन खेलों से संबंधित सभी अवॉर्ड को सम्मानित किया जाता है।
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट दिग्गज सर डॉन ब्रैडमैन ने 1935 में एडिलेड में ध्यानचंद से मुलाकात की। ध्यानचंद को खेलते देख, ब्रैडमैन ने कहा कि ध्यानचंद ऐसे गोल करते हैं जैसे क्रिकेट में रन बनते हैं।
ध्यानचंद की महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह दूसरे खिलाड़ियों की अपेक्षा इतने गोल कैसे कर लेते हैं। इसके लिए उनकी हॉकी स्टिक को ही तोड़ कर जांचा गया। नीदरलैंड्स में ध्यानचंद की हॉकी स्टिक तोड़कर यह चेक किया गया था कि कहीं इसमें चुंबक तो नहीं लगी।
ध्यानचंद की महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह दूसरे खिलाड़ियों की अपेक्षा इतने गोल कैसे कर लेते हैं। इसके लिए उनकी हॉकी स्टिक को ही तोड़ कर जांचा गया। नीदरलैंड्स में ध्यानचंद की हॉकी स्टिक तोड़कर यह चेक किया गया था कि कहीं इसमें चुंबक तो नहीं लगी।
बर्लिन ओलिंपिक में ध्यानचंद के शानदार प्रदर्शन से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें डिनर के लिए आमंत्रित किया था। जर्मन तानाशाह ने उन्हें जर्मनी की फौज में बड़े पद का लालच दिया और जर्मनी की ओर से हॉकी खेलने को कहा। लेकिन ध्यानचंद ने उसे ठुकराते हुए हिटलर को दो टूक अंदाज में जवाब दिया, 'हिंदुस्तान ही मेरा वतन है और मैं उसी के लिए आजीवन हॉकी खेलता रहूंगा।'।
आज है मेजर ध्यानचंद जी का 113 वां जन्मदिन है।
हम सभी की तरफ से उनके महान कार्य को सभी के द्वारा याद किया जाएगा और सभी खिलाड़ी को प्रेरणा देता रहेगा ।हम सभी की तरफ से उन्हें जन्मदिन की बहुत सारी शुभकामनाएं।
मेरा ब्लॉक पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।
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