नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में।

मैं आज लेकर आई हूं बहुत महत्वपूर्ण जानकारी मिसाइल मैन कहे जाने वाले महान वैज्ञानिक और भारत के 15 राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में मेरी महत्वपूर्ण जानकारी तो चलिए चलते हैं जानने के लिए।
15 अक्टूबर, 1931 को जन्मे डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम एक बेहद गरीब परिवार से थे। उनके पिता के पास परिवार चलाने के नाम पर बस एक नाव थी।डॉ. कलाम शुरू से बहुत मेहनती थे। सिर्फ पांच साल की उम्र से ही, उन्होंने अपनी family को support करने के लिए अखबार बेचना शुरू कर दिया था।
कलाम साहब को फिजिक्स और गणित दोनों ही विषय बहुत पसंद थे।गणित पढने के लिए सुबह 4 बजे ही उठ जाते थे।
कलाम साहब शुरू से एक पायलट बनना चाहते थे और एक बार वे इसके बेहद करीब पहुँच गए थे। Indian Air Force की selection list में वे 9वें स्थान पर थे, जबकि सिर्फ आठ लोगों का ही चयन होना था।
एपीजे अब्दुल कलाम1969 में ISRO में चले गए और उन्हें Satellite Launch Vehicles का project director बना दिया गया। प्रोजेक्ट सफल रहा और भारत ने पृथ्वी की कक्षा में रोहिणी उपग्रह भेजने में सफलता प्राप्त की।पोखरण-२ न्यूक्लीयर टेस्ट की सफलता के पीछे भी डॉ. कलाम का बड़ा हाथ था।
डॉ. कलाम भारत रत्न से सम्मानित तो हुए ही, उन्हें 40 विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की उपाधि भी प्रदान की गयी।
कलाम साहब को “मिसाइल मैन” के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि उन्होंने भारत के लिए अग्नि और प्रथ्वी जैसी powerful मिसाइल्स invent करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ. कलाम को बच्चों से बहुत प्यार था और वे हेमशा उनकी जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश करते थे. यहाँ तक की अपनी मृत्यु से ठीक पहले भी वो यही काम कर रहे थे- वे IIM Shillong में स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. कलाम जब स्विट्ज़रलैंड विजिट पर गए थे तो उनके सम्मान में उस दिन ( 26 May) को साइंस डे के रूप में मनाने की घोषणा कर दी गयी।
डॉ. कलाम पहले ऐसे राष्ट्रपति हुए जो अविवाहित थे और एक वैज्ञानिक भी।
डॉ. कलाम को राष्ट्रपति बनने से पहले ही देश कर सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जा चुका था।
कहा जाता है डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम अपने टि्वटर अकाउंट में कुल 38 लोगों को follow करते थे, जिसमे बस एक ही क्रिकेटर था- VVS Laxman.
डॉ. कलाम का पहला बड़ा प्रोजेक्ट, SLV-3 फेल हो गया था। उस समय वो बहुत दुखी हुए थे पर अपनी गलतियों से सीखते हुए उन्होंने आगे चल कर बड़ी-बड़ी सफलताएं अर्जित कीं।
कहा जाता है डॉ. कलाम बतौर राष्ट्रपति मिलने वाले अपनी सैलरी दान में दे दिया करते थे। उन्होंने एक ट्रस्ट बनाया था- Providing Urban Amenities to Rural Areas(PURA), और इसी ट्रस्ट में वो अपनी सैलरी डोनेट कर देते थे।
डॉ. कलाम चाहते थे कि राष्ट्रपति भवन पूरी तरह से सौर्य उर्जा से संचालित हो, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान ये कार्य पूरा नही हो पाया।
अपने माता-पिता की आँखों की समस्या के लिए कुछ ख़ास न कर पाना डॉ कलाम के जीवन का सबसे बड़ा अफ़सोस था।
राष्ट्रपति के तौर पे उन्हें अदालतों द्वारा दिए गए मृत्यु दण्ड की पुष्टि करना बेहद कठिन काम लगता था।
इन सभी विशेषताओं से संपन्न थे डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आज यानी 15 अक्टूबर को उनका जन्म हुआ था ।
तो भारत के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर हर साल 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस भी मनाया जाता है।
आप सभी लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद मेरा ब्लॉग पढ़ने के लिए। 🙏🙏
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