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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

विश्व एड्स दिवस

नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में। 



 मैं आज लेकर बहुत महत्वपूर्ण जानकारी आज यानी 1 दिसंबर विश्व एड्स दिवस के बारे में। 
 तो चलिए चलते हैं जानने के लिए विश्व एड्स दिवस क्यों मनाया जाता है और उसका महत्व क्या है। 

प्रतिवर्ष दुनियाभर के लोगों को एचआईवी संक्रमण के प्रति जागरूक करने के लिए 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे (World AIDS Day) मनाया जाता है। एड्स ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (HIV) के संक्रमण के कारण होने वाला महामारी का रोग है। इस दिन को पहली बार 1988 में चिह्नित किया गया था। वहीं साल 1996 में HIV/AIDS पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर कार्य करना शुरू किया। जिसके बाद से दुनिया भर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाने लगा। एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान की संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि इतने सालों बाद भी अबतक एड्स का कोई प्रभावी इलाज नहीं है। विश्व एड्स दिवस 2021 की थीम 'असमानताओं को समाप्त करना और एड्स का खात्‍मा है।


पहला विश्व एड्स दिवस
पूरा विश्‍व आज जिस एड्स दिवस को मनाता है, उसकी पहली बार कल्पना 1987 में थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न द्वारा की गई थी। थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न दोनों डब्ल्यू.एच.ओ.(विश्व स्वास्थ्य संगठन) जिनेवा, स्विट्जरलैंड के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे। उन्होंने एड्स दिवस का अपना विचार डॉ. जोनाथन मन्न (एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के निदेशक) के साथ साझा किया, जिन्होंने इस विचार को स्वीकृति दे दी और वर्ष 1988 से 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। प्रारंभ में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था परन्तु बाद में पता चला कि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। जिसके बाद साल 1996 में संयुक्त राष्ट्र ने एड्स का वैश्विक स्तर पर प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 से विश्व एड्स अभियान की शुरुआत की।

जानते हैं वर्ल्ड एड्स दिवस के उद्देश्य क्या  है।


वर्ल्ड एड्स डे का उद्देश्य
वर्ल्ड एड्स डे मनाने का प्रमुख उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। आज के समय में एड्स सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। UNICEF की रिपोर्ट की मानें तो पूरे विश्‍व में 36.9 मिलियन लोग HIV के शिकार हो चुके हैं। जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी (HIV) के रोगियों की संख्या करीब 2.1 मिलियन बताई जा रही है।

इसी समस्या को हल करने के लिए विश्व में वर्ल्ड एड्स दिवस 1 दिसंबर को मनाया जाता है ।ताकि लोग इस बीमारी के प्रति जागरूक रहें और सतर्क रहें अगर आपको मेरी जानकारी पसंद आए तो मेरे ब्लॉग को शेयर एंड उसमें कमेंट कीजिए।




आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद मेरा ब्लॉग पढ़ने के लिए

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