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महापरिनिर्वाण दिवस।
हर साल 06 दिसंबर के दिन डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए उनकी पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है।
कैसे मनाते हैं महापरिनिर्वाण दिवस
संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि यानी 06 दिसंबर के दिन लोग उनकी प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाते हैं और दीपक व मोमबत्तियां जलाते हैं. इसके बाद उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. बाबासाहेब को श्रद्धांजलि देने के लिए चैत्य भूमि पर भी लोगों की भीड़ जमा होती है. इस दिन बौद्ध भिक्षु समेत कई लोग पवित्र गीत गाते हैं और बाबा साहेब के नारे भी लगाए जाते हैं.
डॉक्टर अम्बेडकर की पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस मनाने का महत्व
गरीब और दलित वर्ग की स्थिति में सुधार लाने में डॉक्टर बाबासाहेब अम्बेडकर का अहम योगदान रहा है. उन्होंने समाज से छूआछूत समेत कई प्रथाओं को खत्म करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना है कि उनके बुद्ध गुरु भी डॉ अम्बेडकर की तरह ही सदाचारी थे. बौद्ध अनुयायियों के अनुसार डॉ अम्बेडकर भी अपने कार्यों से निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं. इसलिए उनके पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि यानी 06 दिसंबर के दिन लोग उनकी प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाते हैं और दीपक व मोमबत्तियां जलाते हैं. इसके बाद उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. बाबासाहेब को श्रद्धांजलि देने के लिए चैत्य भूमि पर भी लोगों की भीड़ जमा होती है. इस दिन बौद्ध भिक्षु समेत कई लोग पवित्र गीत गाते हैं और बाबा साहेब के नारे भी लगाए जाते हैं।
तो इस तरीके से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मृत्यु की जयंती को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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आप ब्लॉग पढ़ने के लिए आप लोगों
बहुत-बहुत धन्यवाद।
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