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जानिए तूफान क्या होते हैं?किस आधार पर इन तूफानों का नामकरण किया जाता है।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में एक बार फिर से।  मैं लेकर आई हूं आज बहुत इंटरेस्टिंग जानकारी तूफान किसे कहते हैं और किस आधार पर इनका नामकरण किया जाता है।  तो चलिए चलते हैं जानते हैं क्या होते हैं तूफान। क्‍यों आते हैं चक्रवाती तूफान! कैसे होता है इनका नामकरण, भारत ने रखे हैं कितने तूफानों के नाम? जानें सबकुछ। चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि साइक्‍लोन अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्‍की हो जाती है और ऊपर उठती है. इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम हो जाता है। इस खाली जगह पर आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है और वो भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ये साइकिल शुरू हो जाता है और इससे बादल बनने लगते हैं. तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स

महापरिनिर्वाण दिवस।

नमस्कार स्वागत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में।

 जानकारी महापरिनिर्वाण दिवस के बारे में क्यों और कैसे मनाया जाता है इस दिवस को।


हर साल 06 दिसंबर के दिन डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए उनकी पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है।




डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेडकर, जिन्हें हम सब डॉक्टर बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से भी जानते हैं. डॉक्टर अम्बेडकर को संविधान का जनक कहा जाता है. 06 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हुई थी. हर साल 06 दिसंबर के दिन को बाबा साहेब की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन को मनाने के पीछे का कारण है बाबा साहेब को सम्मान और श्रद्धांजलि देना. जानिए क्या महापरिनिर्वाण दिवस और बाबासाहेब अम्बेडकर की पुण्यतिथि के दिन इसे मनाने का क्या है महत्व।


क्या है परिनिर्वाण।


कैसे मनाते हैं महापरिनिर्वाण दिवस

संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि यानी 06 दिसंबर के दिन लोग उनकी प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाते हैं और दीपक व मोमबत्तियां जलाते हैं. इसके बाद उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. बाबासाहेब को श्रद्धांजलि देने के लिए चैत्य भूमि पर भी लोगों की भीड़ जमा होती है.  इस दिन बौद्ध भिक्षु समेत कई लोग पवित्र गीत गाते हैं और बाबा साहेब के नारे भी लगाए जाते हैं. 

परिनिर्वाण का अर्थ है ‘मृत्यु पश्चात निर्वाण’ यानी मौत के बाद निर्वाण. परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के कई प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में एक है. इसके अनुसार, जो व्यक्ति निर्वाण करता है वह सांसारिक मोह माया, इच्छा और जीवन की पीड़ा से मुक्त रहता है. साथ ही वह जीवन चक्र से भी मुक्त रहता है. लेकिन निर्वाण को हासिल करना आसान नहीं होता है. इसके लिए सदाचारी और धर्मसम्मत जीवन व्यतीत करना पड़ता है. बौद्ध धर्म में 80 वर्ष में भगवान बुद्ध के निधन को महापरिनिर्वान कहा जाता है।



डॉक्टर अम्बेडकर की पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस मनाने का महत्व

गरीब और दलित वर्ग की स्थिति में सुधार लाने में डॉक्टर बाबासाहेब अम्बेडकर का अहम योगदान रहा है. उन्होंने समाज से छूआछूत समेत कई प्रथाओं को खत्म करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना है कि उनके बुद्ध गुरु भी डॉ अम्बेडकर की तरह ही सदाचारी थे. बौद्ध अनुयायियों के अनुसार डॉ अम्बेडकर भी अपने कार्यों से निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं. इसलिए उनके पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।



मैं आपको बताना चाहती हूं  कि डॉक्टर अम्बेडकर ने कई साल बौद्ध धर्म का अध्ययन किया और 14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया. मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार भी बौद्ध धर्म के नियम के अनुसार ही किया गया था. मुंबई के दादर चौपाटी में जिस जगह डॉ अम्बेडकर का अंतिम संस्कार हुआ था, उसे अब चैत्य भूमि के नाम से जाना जाता है।


बहुत सारे लोगों को पता नहीं होगा कि किस तरीके से महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है तो मैं आपको बताना चाहती हूं कि।



कैसे मनाते हैं महापरिनिर्वाण दिवस।

संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि यानी 06 दिसंबर के दिन लोग उनकी प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाते हैं और दीपक व मोमबत्तियां जलाते हैं. इसके बाद उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. बाबासाहेब को श्रद्धांजलि देने के लिए चैत्य भूमि पर भी लोगों की भीड़ जमा होती है.  इस दिन बौद्ध भिक्षु समेत कई लोग पवित्र गीत गाते हैं और बाबा साहेब के नारे भी लगाए जाते हैं। 



तो इस तरीके से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मृत्यु की जयंती को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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 आप ब्लॉग पढ़ने के लिए आप लोगों 

 बहुत-बहुत धन्यवाद। 











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